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८. २६. २५] हिन्दी अनुवाद
१५७ अपने नगरमें चला आया। नेत्रोंको आनन्द देनेवाले वृषभसेन आदि दूसरे पुत्र भी तथा प्रियकी विरहाग्निसे अत्यन्त सन्तप्त अशेष नारीजन भी लौट आया। यदि नागराज उसका वर्णन कर सका तो वह उन नाभिराजके साथ ही।
पत्ता-विश्वके लिए भयजनक युद्धके नगाड़ोंका स्वर भरत क्षेत्रकी दिशाओंमें गुंजाता हुआ पुष्पदन्त भरतेश्वर जाकर शत्रुओंके लिए अग्राह्य अयोध्या नगरीमें स्थित हो गया ॥२६॥
इस प्रकार ब्रेसठ शलाकापुरुषों के गुणों और अलंकारोंसे युक्त महापुराणके महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महाभब्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य में जिन दीक्षा ग्रहण कल्याण नामका सातवाँ
परिच्छेद समाप्त हुआ ॥७॥
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