Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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३२०
गयणभायं ।
महापुराण
[१४.७.७ जं हैणुभणंतपक्कलपढुक्कपाइक्कमुक्कलल्लेकहक्करिउसुहडविहडणुग्घुट्ठरोलफुटुंत
रहियमुक्कपग्गहविसेसरंगतरहरसाचलणपँडियगुरुसिहरिसिहरचुण्णजाय१० चंदणकुचंदणोहं ।।
जं हारदोरकेऊरकडयकंचीकलावमउडावलंबिमंदारदामसोभंतजक्खजक्खीविमाणछण्णं।
_जं भीयर वराराकरालचक्काणुगामिमंडलियसूरसामंतकोंतकरवालचावसंघाय१५ जं दंतिदाणधारापवाहपसमंतरेणुदीसंतदसदिसाणणभरतसेणाणरुद्धरियविविह
छत्तचिंधं । _जं भिन्चदेहपरियलियसेयणीसंदबिंदुहयफेणसलिलचिक्ख°ल्लतल्लखुप्पंतसयडसंकिण्णकुहिणिदेसं। घत्ता-तं पेच्छिवि पबलु उत्थरिउ बलु बोल्लिज्जई" मेच्छकुलेसहिं ।।
एवहिं को सरणु ढुक्कउ मरणु रिउ घाइय चउहुँ मि पासहिं ॥७॥
संकडिल्लं।
दुवई-गिरिदरिसरिमुहाई जो लंघइ पहु सामत्थवंतओ।
सो अम्हारिसेहिं कि जिप्पइ णिज्जियदह दियंतओ ॥१॥ बहुकालहु दइवेण णिवेइउ हा हा पलयकालु संप्रौइउ । वयणु सुणिवि आवत्तचिलायह मेच्छमहामंडलमहिरायहं । धीरे मंते एउ पवुच्चइ
आवईकालइ धाह ण मुञ्चइ। सव्वु सहिज्जइ जं जिह दुक्का हयविहि विहियहु को वि ण चुक्कइ । जहिं भंडणु तहिं अवसे खंडणु धीरत्तणु जि मणूसहु मंडणु। विसहर परणरसेण्णवियारा ते तुम्हहं कुलदेव भडारा। सुमरहु सामिसाल सब्भावें किं भएण किं किर बलगावें। तेहिं मि ए आलाव विवेईय णाय मेहमुह मणि णिज्झाइय । वियडफडाकडप्पदप्पुब्भड गरलाणलपलित्तगिरितडवड । उल्ललंततधूममलीमस
सिरमणिगणमऊहदीवियदिस । अग्घकुसुमरसवासुद्धाइय
चलँवलंत ते झत्ति पराइय । घत्ता-बोलिउ उरगइणा विसहरवइणा किं पाडमि गहणक्खत्तई ।।
कीलियसुरवरहो माणससरहो णिल्लूरमि किं सयवत्तई ।।८।। ४. MBP हणुहणुभणंत । ५. MBP°ललक्क । ६. P रंगततुरयरह । ७. MP°चलणवडिय; B °चलणचडिय' । ८. MBP°सिहरसयचुण्ण । ९. MB भीयरंबदाढाकराल; P भीयरावदाढाकराल ।
१०. MBP °चिक्खिल्ल। ११. MBP वोलिज्जइ। . ८. १. MBP°दहदिहतओ । २. MBP संपाइउ । ३. MBP आवइकालि धाह णउ मुच्चइ । ४. MBP
णिवेइय । ५. मेहमुहु । ६. MBP उल्ललंतबहुधूम । ७. K चलचलंत ।
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