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विषय-सूची
सन्धि८
१५८-१८१
(१) छह माहका कठोर अनशन । (२) दीक्षा लेनेवालोंका दीक्षासे विचलित होना । (३) उनकी प्रतिक्रियाओंका वर्णन । (४) दिव्यध्वनि द्वारा चेतावनी । (५) जिन दीक्षाका त्याग व अन्य मतोंका ग्रहण; कुछ घर वापस लौट आये। कच्छ और महाकच्छके पुत्रोंका आगमन; ध्यानमें लीन ऋषभ जिनसे धरतीकी मांग। (६) धरणेन्द्र के आसनका कम्पायमान होना। (७) घरणेन्द्रका आकर ऋषभ जिनके दर्शन करना; नागराज द्वारा स्तुति । (८) नागराज द्वारा ऋषभ जिनका मानव जातिके लिए महत्त्व प्रतिपादित करना; नागराजकी चित्तशुद्धि। (९) नागराजकी नमि-विनमिसे बातचीत । (१०) नागराज उन्हें विजयाचं पर्वतपर ले गया। (११) विजयार्ध पर्वतका वर्णन । (१२) नमि-विनमिको विद्याओंकी सिद्धि । (१३) नागराजने विजयार्ध पर्वतकी एक श्रेणी नमिको प्रदान की। (१४) दूसरी श्रेणी विनमिको प्रदान की। (१५) पुण्यकी महत्ताका वर्णन ।
सन्धि
९
१८२-२१७
(१) ऋषभ द्वारा कायोत्सर्गकी समाप्ति । (२) विहार । (३) श्रेयांसका स्वप्न देखना । (४) अपने भाई राजा सोमप्रभसे स्वप्नका फल पूछना। (५) ऋषभ जिनके आनेकी द्वारपाल द्वारा सूचना; दोनों भाइयोंका ऋषभ जिनके पास जाना । (६) श्रेयांसको पूर्वजन्मका स्मरण और आहारदानकी घटनाका याद आना । (७) विभिन्न प्रकारके दानोंका उल्लेख, (८) उत्तम पात्रके दानकी प्रशंसा । (९) राजा द्वारा ऋषभ जिनको पड़गाहना। (१०) इक्षुरसका बाहार दान, (११) पांच प्रकारके रत्नोंकी वृष्टि । (१२) भरत द्वारा प्रशंसा; आदि जिनका विहार; ज्ञानोंकी प्राप्ति (१३) पुरिमतालपुरमें ऋषभ जिनका प्रवेश । (१४) पुरिमतालपुर उद्यानका वर्णन । (१५) ऋषभ जिनका आत्मचिन्तन । (१६) केवलज्ञानकी प्राप्ति । (१७-१८) इन्द्रका आगमन; ऐरावतका वर्णन । (१९) विविध सवारियों के द्वारा देवोंका आगमन । (२०) देवांगनाओंका आगमन । (२१-२२) समवसरणका वर्णन । (२३) समवसरणमें आनेवाले विभिन्न देवोंका चित्रण । (२४) धूम्ररेखाओंसे शोभित आकाशका वर्णन । (२५) ध्वजोंका वर्णन । (२६) परकोटाओं और स्तूपोंका चित्रण; नाट्यशालाका वर्णन । (२७) सिंहासन और वन्दना करते हुए देवोंका वर्णन । (२८) आकाशसे हो रही कुसुमवृष्टिका चित्रण । (२९) देवों द्वारा जिनवरकी स्तुति ।
सन्धि १०
२१८-२३५ (१) इन्द्र द्वारा जिनवरकी स्तुति । (२) सिंहासनपर स्थित ऋषभ जिनवरका वर्णन; दिव्यध्वनि और गमनका वर्णन । (३) केवलज्ञान प्राप्त होनेके बाद ऋषभ जिनके विहारके प्रभावका वर्णन; मानस्तम्भका वर्णन । (४) विविध देवांगनाओंका जमघट । (५-८) ऋषभ जिनकी स्तुति । (९) ऋषभ जिनवर द्वारा तत्त्वकथन; जीवोंका विभाजन । (१०) जीवोंके भेद-प्रभेद; पृथ्वीकायादिका वर्णन । (११) वनस्पतिकाय और जलकाय जीवोंका वर्णन । (१२) दोइन्द्रिय-तीनइन्द्रिय आदि जीवोंका कथन । (१३) द्वीप समुद्रोंका वर्णन । (१४) जलचर प्राणियोंका वर्णन ।
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