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प्रमेयोप्रतिका टोका प्रति० १ स्थलचरपरिस मूच्छिम पं. ति. जीवनिरूपणम् २६९
विधाः - अनेकप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः - कथिताः अत्र लोमयुक्तौ पक्षौ इति लोमपक्षौ तौ विद्यते येषां ते लोमपक्षिण इति अनेकविधत्वं दर्शयति- 'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा ' तद्यथा - ' ढका कंका जे यावन्ने तहप्परगारा' ढक्का कङ्काः ये चान्ये - दङ्ककङ्कातिरिक्ता तथा प्रकाराः दङ्कादिसदृशास्ते सर्वेऽपि लोमपक्षितया ज्ञातव्याः । लोमपक्षिविषयेऽपि प्रज्ञापनाप्रकरणमनुस्मरणीयम् । 'से तं लोमपक्खी' ते एते ढङ्कादयो लोपपक्षिणो निरूपिता इति ॥
कहते हैं-'लोम पक्खी अणेगविहा पण्णत्ता' हे गौतम | लोमपक्षी अनेक प्रकार के कहे गये है । 'तं जहा ' जैसे - " ढंका, कंका, जे यावन्ने तहप्पगारा' ढक, कक, गृद्ध पक्षी - तथा इसी प्रकार के और भी पक्षी ये सब लोमपक्षी रूप से जानना चाहिये । लोमपक्षियों के सम्बन्ध में प्रज्ञापना प्रकरण जो टीका में दिया गया उसका भाव इस प्रकार से है"ढङ्क, कङ्क - गीध, कुरर-पक्षिविशेष वायस कौवा चक्रवाक - चकवा हंस कलहंस- चतख राजहंस - हंस आदि - बतककी जात, सोडी - बक- बगला - वारिप्लव - जलकाग बलागा - बगलेकी एक जाति क्रौञ्च-सारस. मसर - मसूर. मयूर सप्तहस्त. गहर पुण्डरीक काग बडा कौवा कार्मिजुय वंजुलक. तीतर वर्त्तक- बटेर लावक बटेर को एक जाति कपोत- कबूत्तर कपिञ्जल चातक पारावत--कबूतर विशेष. चित्रक विशा. कुक्कुट - मुर्गा शुक- तोता. बर्ही- मयूर की जाति, मदन शालाका - मैंनापक्षी कोकिल और श्लक्ष्ण वरिल्लक आदि इनमें कितनेक लोम पक्षी तो प्रसिद्ध हैं और कितनेक देश विशेष से जानने के हैं । 'से तं लोमपक्खी' इससे यह सब कथन लोमपक्षी के सम्बन्ध में किया गया है ।
1’હું ગૌતમ ! લેામપક્ષી અનેક छे.- " ढूंक कक जे यावण्णे बील पक्षीय मामधा पक्षीये। સમધમાં પ્રજ્ઞાપનાસૂત્રનું જે
લેામ પક્ષી તરીકે सभवा. લામપક્ષિઓના પ્રકરણ ટીકામાં આપેલ છે. તેને ભાવ मा प्रभा छे, ढक कडू- गीध पक्षी. २२- पक्षिविशेष वायस - अगडे, अडवा, पक्षिविशेष इंस, उडुस, बतख मत, रास चोतडुस, माडमतनीलत, सोडी, मगला, वारिसव-पाथी भांरडेनार अगडी, जयाजा-जजसानी खेल थ, सारस, भसर-भसूर, भयूर - भोर, सप्तहस्त, गहुर पुंडरीम, भागभोटो अगडा, अभिनय, वनुस, तीतर-तेतर, वत्त-यक्षि-विशेष, साय-टेरनी - लत, ज्योत-म्यूतर, उनिस यात, पारावत- अणूतरनी सेनत, चित्र, विशा, हुम्डुटभरघा, शुम् पोट, महि - भारनीमेडलत, भहनशलाअ-भेना, अठिस - अयस भने सक्षम વલ્લિક વિગેરે આમાં કેટલાક લેમપક્ષિત પ્રસિદ્ધ જ છે. અને કેટલાક દેશવિશેષથી सभलसेवा. "सेत्तं लोमपक्त्रो" भारीते मा सघणु स्थन से भपक्षीना स'मधमां अरेतु छे
उत्तरभां अलु हे छे - "लोमपक्खो अणेगविहा पण्णत्ता अारना उद्या छे. 'तं जहा " ते या प्रमाणे तहप्पगारा” ढंग ४४- गीध पक्षी तथा खानालेवा