Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 634
________________ - ~ ६१२ जीवाभिगमसूत्रे Commonwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww णीणं" वैमानिकीनाम् “देवपुरिसाणं' देवपुरुषाणाम् “भवणवासिण" भवनवासिनाम् 'जाववेमाणियाण" यावद्वैमानिकानाम् अत्र यावत्पदेन वानव्यन्तराणां ज्योतिष्कानां सग्रहो भवति 'सोधम्मकाणं" सौधर्मकानाम् “जाव गेवेज्जकाणं" यावद्मवेयकानाम् ईशानादारभ्य अवेयकदेव पर्यन्ताना देवानाम् तथा हि ईशानदेवानां सनत्कुमारदेवानां माहेन्द्राणां ब्रह्मदेवानां लान्तकाना महाशुक्राणां सहस्राराणामानताना प्राणतानाम् आरणानाम् अच्युतानां |वेयकानाम् तथा "अणुत्तरोववाइयाण' अनुत्तरोपपातिकानाम् "णेरइयणपुसगाणं" नैरयिकनपुंसकानाम् "रयणप्पभापुढवीणेरइयणपुसगाणं" रत्नप्रभापृथिवीनरयिकनपुंसकानाम् "जाव अहेसत्तमणेरइयणपुंसगाण' यावत् शर्कराप्रभा-बालकप्रभा-पङ्कप्रभा-धूमप्रभा-तमःप्रभा अधःसप्तमतमस्तमापृथिवीनैरयिकनपुंसकानाम् "कयरे कयरे हितो" कतरे कतरेभ्यः 'अप्पा वा' अल्पावा "वहुया वा" बहुका वा “तुल्लावा' तुल्या वा 'विसेसाहिया वा' विशेषाधिका वा भवन्तीति साणं' देवपुरुषो के 'भवणवासिणं' भवनसासिदेवो के 'जाव वेमाणियाणं' यावत् वैमानिको के यावत् पदग्राह्य-वानव्यन्तरों के ज्योतिष्को के “सोहम्मगाणं' सौधर्मको के "जाव गेवेज्जगाणं" यावत अवेयको के ईशानकल्प से लेकर ग्रैवेयक पर्यन्त के देवो के जैसे--ईशान सनत्कुमार, माहेन्द्र ब्रह्मलोक, लान्तक, महाशुक्र सहस्रार आनत प्राणत, आरण अच्युत और ग्रैवेयक देवो के तथा "अणुत्तरोववाइयाण' अणुत्तरोपपातिको के 'णेरइयणपुंसगाणं' नैरयिक नपुंसकों के-'रयणप्पभापुढवी नेरइयनपुंसगाण' रत्नप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के 'जाव अहेसत्तमणेरइयणपुंसगाण' यावत् यावत्पदग्राह्य-शर्कराप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के पकप्रभा पृथिवी के नैरयिक नपुंसको के धूमप्रभा पृथिवी के नैरयिक नपुसको के. तम प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के-तथा-अधः सप्तम पृथिवी के नैरयिको के बीच में "कयरे कयरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा' कौन किनसे अल्प है ? कौन किनसे बहुत हैं ? कौन किन के बराबर है ? और कौन किनसे विशेषाहवस्त्रियामा, वैमानिः वस्त्रियामा - "एवं देवपुरिसाणं" मने वधुवामा "भवणवासिणं" सपनपासिहेवामा "जाव वेमाणियाण' यावत वैमानिमा “सोहम्मगाणं" सीधमा "जाव गेवेज्जगाणं" यावत् थैवेयरमा शान८५थी साधने वे५५ पर्यन्तना हेवामा भिडे-शान, सन भा२, भाउन्द्र, प्रह, सान्त२ माशु, सखा२, मानत, प्राणत, भा२५], अच्युत, भने ग्रेवेय४ वोमा तथा- अणुत्तरोववाइयाण' अनुत्तरे। ५५तिमा ‘णेरइयणपुंसगाणं" नैयि नपुसमा 'रयणप्पभापुढवी नेरइयनपुंसगाणं" २९नमा पृथ्वीनां नैयिनसीमा "जाव अहेसत्तमणेरइयणपुंसगाण" यावत् ५४थी शशिमला पृथ्वीना नैयि नसीमा, વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીના નૈરયિક નપુ સકોમા, પંકપ્રભા પૃથ્વીના નૈરયિક નપુંસકમાં, ધૂમપ્રભા પૃથ્વીના નૈરયિકનપુસકે મા, તમપ્રભા પૃથ્વીના નિરયિક નપુંસકમાં તથા અધ સપ્તમી પૃથ્વી ना ३२यि नसमा "कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा, वहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा" કોણ તેનાથી અલ્પ છે? કોણ કોનાથી વધારે છે? કેણુકની બરોબર છે? અને કેણુકેનાથી

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