Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 648
________________ ६२६ जीवाभिगमसूत्रे रण्यवतक्षेत्रस्था इमे परस्परं तुल्याश्च भवन्तीति । 'भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेजगुणा' हैमवतहैरण्यवताकर्मभूमिकमनुष्यस्त्रीपुरुषापेक्षया भरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यपुरुषा द्वयेऽपि सख्येयगुणाधिका भवन्ति । भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणाओ' भरतैर वतमनुष्यपुरुषा पेक्षया भरतैरवतकर्मभूमिकमनुव्यस्त्रियो द्वय्योऽपि सख्येयगुणाधिका भवन्तीति । तथा स्वस्थाने परस्परं तुल्याश्च भवन्ति । 'पुचविदेह अवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा' भरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यस्त्र्यपेक्षया पूर्वविदेहापरविदेहकर्मभूमिकमनुष्यपुरुषाः सख्येयगुणाधिका भवन्ति तथा स्वस्थाने इमे द्वयेऽपि परस्परं तुल्या भवन्तीति 'पुव्व विदेहावरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा' पूर्वविदेहापरविदेहमनुष्यपुरुपापेक्षया पूर्वविदेहापरविदेहकर्मभूमिकमनुष्यस्त्रियः द्वय्योऽपि संख्येयगुणाधिकाः की मनुष्य स्त्रिया और मनुष्य पुरुप सख्यातगुणे अधिक है तथा स्वस्थान में ये आपस में तुल्य है "भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरत क्षेत्र और ऐरवत क्षेत्र रूप कर्मभूमि के मनुष्य पुरुप हैमवत और हैरण्यवतरूप अकर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियां एवं मनुष्य पुरुषो की अपेक्षा संख्यात गुणे अधिक हैं। और स्वस्थान में ये आपस में समान है “भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरत और ऐरवत क्षेत्र के मनुश्य पुरुषो की अपेक्षा यहां की मनुष्य स्त्रियां सख्यात गुणी अधिक हैं तथा स्वस्थान में ये परस्पर में तुल्य है "पुचविदेह अवरविदेह कम्मभूमिगम णुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरत और ऐरवत क्षेत्र की मनुष्य स्त्रियों की अपेक्षा पूर्व विदेह और अपर विदेह रूप कर्म भूमि के मनुष्य पुरुषसख्यात गुणें अधिक हैं । तथा ये स्वस्थान में परस्पर में तुल्य है 'पुव्वविदेहावरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ. दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा" पूर्वविदेह और अपरविदेह रूप कर्मभूमिक पुरुषों की अपेक्षा હૈરશ્યત રૂપ અકર્મભૂમિની મનુષ્યસ્ત્રિ અને મનુષ્ય પુરૂષ સ ખ્યાતગણુ વધારે छ. तथा स्वस्थानमा-५२२५२मा तुस्य छे. “भरहेरवयकम्मभूमिगमगुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरतक्षेत्र भने भैरवतक्षेत्र ३५ भभूमिना मनुष्य પુરૂષે હૈમવત અને હેરણ્યવત રૂપ અકર્મભૂમિની મનુષ્યસ્ત્રિ અને મનુષ્ય પુરૂ ४२di सध्यातम पधारे भने २१स्थानमा तेम। ५२२५२मा तुल्य छे "भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्ला सखेज्जगुणा" भरत मने मेरवत क्षेत्रना मनुष्य ५३४२di ત્યાંની મનુષ્ય સ્ત્રિય સંખ્યાતગણી વધારે છે. તથા સ્વસ્થાનમાં એ પરસ્પર તુલ્ય છે. "पुवविदेह अवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" मरत आने અરવત ક્ષેત્રની મનુષ્યન્ન કરતા પૂર્વ વિદેહ અને અપરવિદેહ રૂપ કર્મભૂમિના મનુષ્ય यु३२॥ सध्या पधारे छ. तथा तमा स्वस्थानमा ५२२५२ तुल्य छ “पुल्वविदेहावरविभूदेहकम्ममिगमणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" पूपिड मने ५५२ विटेड ३५

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