Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे ६२४ 'वेमाणियाणं' वैमानिकाना देवपुरुषाणाम् । 'सोहम्मगाणं' सौधर्मकानाम् 'जाव गेवेज्जगाणं' यावद्ग्रेवेयकानाम् यावत्पदेन ईशानसनत्कुमारमाहेन्द्रलान्तकमहाशुक्रसहस्राराऽऽनतप्राणतारणाच्युतपर्यन्तानां देवानाम्, तथा—'अणुत्तरोववाइयाण अनुत्तरोपपातिकानाम्, 'णेरइयणपुंसगाणं' नैरयिकनपुंसकानाम् ‘रयणप्पभापुढवीणेरइयण सगाणं जाव अहेसत्तमपुढवीणेरइयणपुंसगाण य' रत्नप्रभापृथिवीनैरयिकनपुसकानां यावदधःसप्तमपृथिवीनैरयिकनपुसकानां च. अत्र यावत्पदेन शर्कराप्रभावालकाप्रभापङ्कप्रभाधूमप्रभातमःप्रभापृथिवीनैरयिकनपुंसकानां सग्रहो भवतीति ज्ञेयम् ‘कयरे कयरे हितो' कतरे कतरेभ्यः 'अप्पा वा' अल्पावा 'वहुया वा' बहुका वा 'तुल्ला वा' तुल्या वा 'विसेसाहिया वा' विशेषाधिका वेति प्रश्नः, भगवनाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे देवपुरुषों के अर्थात् "भवणवासिणं" भवनवासिदेवो के भवनवासि देवपुरुपो के "वेमाणियाणं" वैमानिक देव पुरुषों के, “सोहम्मगाणं" सौधर्मक देवपुरुपों के "जाव गेवेज्जगाणं" यावत् ईशान्, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत इनकल्पों के देवपुरुषो के तथा ग्रैवेयक देवपुरुषो के, तथा--"अणुत्तरोववाइयाणं" अनुत्तरोपपातिक देव पुरुषो के, तथा--"णेरइयणपुंसगाणं" नैरयिकनपुंसकों के अर्थात् “श्यणप्पभा पुढवीणेरइयणपुंसगाणं" रत्नप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के-यावत्-शर्करा प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के, वालुका प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुसको के, पचप्रभा पृथिवी के नैरयिक नपुंसको के, धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक नपुसकों के तमःप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसको के और अधः सप्तम पृथिवी के नैरयिक नपुंसको के बीच में "कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा" कौन किन से अल्प है ? कौन किनसे बहुत है कौन किनके बरावर हैं ? और कौन किन से विशेषाधिक है ? उत्तर में प्रभु कहते है-'गोयमा ! मात् 'भवणवासिण" सवनवासि वोमां-सनवासि व ५३षामा "वेमाणियाण" वैमानि १५३यामा “सोहम्मकाणं" सौधन व५३षामा "जाव गेवेज्जाणं" याक्तू
शान, सनभा२, माडन्द्र, प्रह, सान्त, भडाशुद्र, ससार, मानत, प्राति, मा२ अत्युत म। याना वधुषोभा तथाअवय हेक्५३षामा तथा "अणुत्तरोववाइयाण" मनु त५पाति ५३षामा तथा "णेरइयणपुंसगाणं" नैयि नसमा अर्थात् "रयण प्पभापुढवीणेरइयण सगाण" २९नमा पृथ्वीनां नैयि नयु सीमा, यावत् १४२॥ प्रमा પૃથ્વીના નૈરાચિક નપુંસકોમાં વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીના નરયિક નપુંસકમાં, પંકપ્રભા પૃથ્વીના નરયિક નપુસકેમ, ધૂમપ્રભા પૃથ્વીના નૈરયિક નપુંસકમા, તમ:પ્રભા પૃથ્વીના
२थि नसमा भने असतभी पृथ्वीना नाय नसभा“ कयरे कयरेहितो अप्पा वा, वहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा” Byानाथी २५८५ छ। छ ? કોણ કોનાથી વધારે છે? કે કેની બરોબર છે? અને કેણ કેનાથી વિશેષાધિક છે ? सा प्रश्न उत्तरमा प्रभु गौतमस्वामीन. ४ छ ?--"गोयमा! अंतरदीवगअकम्मभू

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