Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 650
________________ ૬૮ जीवाभिगमसूत्रे तेभ्य आनतकल्पदेवपुरुषा सख्येयगुणाधिका भवन्तीति । अथाग्रे - असंख्याता' प्रदर्श्यन्ते — 'अहेमत्तमाए पुढची रयणपुंसगा संखेज्जगुणा' आनतकल्पदेवपुरुषापेक्षया अध' सप्तम्यां पृथिव्यां नैरयिकनपुरका असंख्यानगुणाधिका भवन्तीति । 'छट्टीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' सममपृथिवीनार कनपुंसकापेक्षया पष्ठ्यां तम प्रभापृथिव्यानारकनपुंसका असंख्यातगुणा अधिका नवन्तीति । 'महस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखज्जगुणा' तमापृथिवीनारकनपुंसकापेक्षया सहस्रारदेवक्रये देवपुरुषा असख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असखेज्जगुणा' महत्रारकन्पदेवपुरुषापेक्षया महाशुक्रकल्पदेवपुरुषा असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति | 'पंचमी पुवी saण पुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पदेवपुरुषापेक्षया पञ्चम्या पृथिव्यां अपेक्षा आरणकप के जो देव पुरुष हैं वे संख्यात गुणे अधिक है । इनकी अपेक्षा प्राणतकप के जो देव पुरुष है वे सख्यात गुणे अधिक हे और इनकी अपेक्षा जो आनत कल्प के देव पुरुष है वे संख्यात गुणे अधिक हैं । यहासे आगे असख्यात गुणें कहते हैं'अहे सत्तमा पुढवीए णेरडयणपुंसगा असंखेज्जगुणा " आनत कल्प के देवपुरुषों की अपेक्षा अघ सप्तमी पृथिवी में जो नैरयिक नपुंसक है वे असंख्यात गुणे अधिक हैं । "डीए, पुढवीए णेरडयण पुंसगा असंखेज्जगुणा" छठी पृथिवी के जो नैरयिक नपुसक हे व सप्तमनार कनपुंसकों की अपेक्षा असंख्यात गुणे अधिक है " सहस्सारे कप्पे-देवपुरिया असंखेज्जगुणा" सहस्रारकल्प में जो देव पुरुष है वे छठवीं पृथिवी के नैरयिकनपुसकों की अपेक्षा असख्यातगुणे अधिक हैं । "महामुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" महाशुक कप में जो देव पुरुष हैं वे सहस्रारकल्प के देव पुरुषों की अपेक्षा असख्यातगुणे अधिक है। "पंचमी पुढवीए रयण पुंसगा असंखेज्जगुणा" पांचवीं पृथिवी में जो नैरयिक કલ્પના જે દેવપુરુષ છે, તેએ સ ખ્યાતગણા વધારે છે તેના કરતાં આરણુ કલ્પના જે દેવ. પુરૂષ છે. તેઓ સખ્યાતગણા વધારે છે, તેના કરતાં પ્રાણત કલ્પના જે દેવ પુરૂષો છે, તેએ સંખ્યાતગણા વધારે છે. અને તેના કરતાં આનતકલ્પના દેવપુરૂષા છે, તે સંખ્યાતગણુા बधारे हे अदिधी आग अध्यायानु उधन रे छे " भद्दे सत्तमा पुढवीप णेरया अज्जगुणा" आनन उपना हेवा ४२ता सप्तभी पृथ्वीमा ने नरि न ते मया पधारे हे छट्टीप, पुढवीण णेरलय णपुंसगा अससेज्जજુના'' છઠ્ઠી પૃથ્વીના તેયિક નપુંસકા માતમી પૃથ્વીના નાગ્યું નપુંસકેા કરતાં અસ ંખ્યાત ત "सहमारे कप्पे देवपुरिसा अमंसेज्जगुणा" सहसार यूना व श्री पृथ्वीना नेगयि नयुस तां असंख्यात गाया वधारे "महाप देवपुरिसा असंसेज्जगुणा" મહાશુક ૪૫માં જે દેવ પુરૂષષ છે સમર કલ્પના દેવપુરૂષો કરતાં અસ ંખ્યાતગણા વધારે છે "पंचमीप पुढवीप 'पांगी पृथ्वीना ने नपुंम भी उदयना हेवपुषो रयण

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