Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 636
________________ ६१४ जीवाभिगमसूत्रे __अथाने यथोत्तरमसंख्यातगुणाः प्रदर्श्यन्ते "अहेसत्तमाए पुढवीए' अध.सप्तम्यां पृथिव्यां तमस्तमाभिधानायाम् “णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" नैरयिकनपुंसका असंख्येयगुणाः, आनतकल्पदेवपुरुषापेक्षया सप्तमनारकनपुंसका असख्येयगुणाधिका भवन्तीति । सप्तमनारकनपुंसकापेक्षया 'छट्टिए पुढवीए णेरइयणपुंसंगी असंखेज्जगुणा' पष्टयाँ तमायां नारकपृथिव्यां ये नैरयिकनपुंसकाः सन्ति ते असंख्येयगुणा अधिका भवन्तीति । 'संहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" पष्ठपृथिवीनारकनपुंसकांपेक्षा सहस्रारकल्पे ये देवपुरुपाः सन्ति ते असख्येयगुणाधिका भवन्तीति 'महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' सहस्रारकल्पदेवापेक्षया महाशुक्रे कल्पे देवपुरुपा असख्येयगुणा अधिका भवन्तीति ,पंचमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पदेवापेक्षया पञ्चम्यां धूमप्रभायां पृथिव्यां ये नैरयिकनपुंसका' ते असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति 'लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा' पञ्चमपृथिवीनारकनपुंसका को कहते है-अहेसत्तमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' आनतकल्प के देवपुरुषो की अपेक्षा अधःसप्तमी तमतमा नामकी पृथिवी में नैरयिक नपुंसक असंख्यात गुंणे अधिक है । "छट्ठीए पुढवीए णेरड्यणपुंसगा असखेज्जगुणा" सातवीं पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों की अपेक्षा छट्ठी पृथिवी में नैरयिकनपुंसक असंख्यात गुणे अधिक हैं । "सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असखेज्जगुणा' छठवी पृथिवी के नैरयिकनपुंसको की अपेक्षा सहस्रार कल्प में जो देवपुरुष है वे असख्यात गुणे अधिक है "महासुक्के कप्पे देवा असखेज्जगुणा' सहस्रार कल्पके देवपुरुषो की अपेक्षा महाशुक्रकल्पमें जो देवपुरुष है वे असख्यात गुणे अधिक है "पंचमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पके देवो की अपेक्षा पांचमी धूमप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसक असख्यात गुणे अधिक है । "लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा' पाचवीं पृथिवी के नैरयिकनपुंसको की अपेक्षा लान्तक कल्प वे अस ज्यात शुशुवाणा वातु थन ४२पामा माव छ--'अहे सत्तमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" मानतना वधु३२॥ ४२त। सभी तमास्तमा नामनी पृथ्वीमा नयि नस असण्यात मधारे छे "छाछोए पुढवीए रइयनपुंसगा असेखेज्जगुणा" सातमी पृथ्वीना नयि नस। ४२di छ पृथ्वीना यि नस अस - ज्यात वधारे छे “संहस्सारे कप्पे देवपुरिसी असंखेज्जगुणा" ही पृथ्वीना नैयि नस। ४२ता सहसा२४८५ना हेवपु३॥ मम यातया पधारे छ “महासुक्के कप्पे देवा असंखेज्जगुणा" समा२४६५ना हेवY३।४२ता भाशुस ४८५ना व५३५असच्यात पधारे छे "पंचमाए पुढवीए णेरइयणपुसगा असंखेज्जगुणा" माशु ४८५ना १५३।४२di पायभी धूमप्रमा पृथ्वीना य न सही मसभ्यातमा धारे छे. "लंतए कप्पे देवा असखेज्जगुणा" पायभी पृथ्वीना ने[48 नसी ४२di alrds ४६५ना पु३ असण्यात धारे छ. "चउत्थीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" सान्त: ४६५ना हेवY३६ ४२ता

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