Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे
तिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसा हिया' अप्कायिकनपुंसकापेक्षयां वायुकायिकैकेन्द्रियतिर्यग्यो निकनपुंसका विशेषाधिका भवन्तीति । 'वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा अणंतगुणा' वायुकायिकनपुंसकापेक्षया वनस्पतिकायिकैकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका अनन्तगुणाधिका भवन्तीति । पष्ठमल्पवहुत्वम् ॥सू० २०॥
सम्प्रति विशेषतः सप्तमाष्टमाल्पबहुत्वमाह-'एयासि णं भंतें ! मस्सित्थीर्ण' इत्यादि.
मूलम्-'एयासिणं मंते! मणुसित्थीण कम्मभूमियांणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमियाण अकम्मभूमियाण अंतरदीवगाणं मणुस्सणपुंसगाणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवगाण ये कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वो विसेसाहिया वा ? गोयमा ! अंतरदीविया मणुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसा य एतेणं दुन्नियतुल्ला वि सव्वत्थोवा देवकुंरु उत्तरकुरु अकम्मभूमिगमणुस्सिंत्थियाओ मणुस्सपुरिसा य एतेणं दोन्नि वि तुल्ला संखेज्जगुणा, हरिखासरम्मगवासअकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसा य एतेण दोन्नि वि. तुल्ला संखेज्जगुणा, हेमवयहेरण्णवयअकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ मणुस्स-पुरिसा य एतेणं दो वितुल्ला संखेज्जगुणा, भरहेखयकम्मभूमिगमणुस्स. पुरिसा दो वितुल्ला संखेज्जगुणा, भरहेखयकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ दो वितुल्ला संखेज्जगुंणा । पुव्वविदेहावरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सैपुरिसा. दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा । पुव्वविदेहअवरविदेहकॅम्मभूमिगमणुस्सिपुंसगा विसेसाहिया" वायुकायिक एकेन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसक अप्कायिक नपुंसको की अपेक्षा विशेषाधिक है। "वर्णस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा अणंतगुणा” वायुका यिक नपुंसको की अपेक्षा वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसके अनन्त गुणे है सूत्र२०॥ पिछे "चाउकाइयगिदितिरिक्खजोणियणपुंसगां विसेसाहियो" पाथुआधि मे छद्रिय जातिय यानि: नसी मायना नस। ४२ती विशेषाधि छ ‘वण. स्काइय एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा अणतगुणा" वायुयना नपुंस। रती वनસ્પતિ કાયના એક ઈદ્રિય વાળા તિર્યનિક નપુંસકે અનન્તગણું છે. સૂર છે '

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