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जीवामिममसूत्रे
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तं घेईदियति रिक्खजोणियण पुंसगा' अथ के ते द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः १ इति प्रश्नः, उत्तरयति - 'वे इंदिय तिरिक्खजोणियणपुंसगा अणेगविहा पन्नत्ता' हीन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसका अनेकविधाः अनेकप्रकारका प्रज्ञप्ताः कथिताः 'फुलाकिमिया जाव समुहलिक्खा' इत्यादि प्रज्ञापनायां प्रथमपदोक्ता सर्वेऽत्र ग्राह्याः 'से त वेइंदियतिरिक्खजोणियण पुंसगा' ते एते द्वीन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसका निरूपिता इति । एवं ते इंदिया वि चउरिंदिया वि एवम्-द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकवदेव तेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकास्तथा चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः अपि निरूपणीयाः, प्रथमप्रतिपत्तीयद्वीन्द्रियादिप्रकरण प्रज्ञापनातिदेशेन प्रोक्तमेवात्रानुसन्धेयमिति ।
चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिकान् निरूप्य पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकान् निरूपयितुं प्रश्न यन्नाह - 'से किं तं ' इत्यादि, 'से किं तं पंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा' अथ के ते पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका 2 इति प्रश्नः, उत्तरयति-'पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसंगाग्योनिक नपुंसको का कथन है, " से किं तं इंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा" भदन्त । दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक कितने प्रकार के होते है ? हे गौतम ! “वेइंदियतिरिक्खजोणियण पुंसगा अणेगविहा पण्णत्ता' दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक अनेक प्रकार के कहे गये है । जैसे - “ पुलाकि मिया जाव समुहलिखा " इत्यादि प्रज्ञापनाके प्रथम पद में कहे गये सब यहाँ समझलेना चाहिये । ' से तं वेइंदिय तिरिक्ख जोणिया ' "इस प्रकार से दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसको के सम्बन्ध का यह कथन समाप्त हुआ
" एवं इंदिया वि चउरिंदिया वि" द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसकों के जैसे ही ते इन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक और चौइन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसक भी जानना चाहिये । पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसको का निरूपण कहते है- " से किं तं पंचिदियतिरिक्खजोणियणपुसगा" हे भदन्त ! पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक कितने प्रकार के होते है ? 'गोयमा' हे गौतम! “पंचिंदिय
" से किं त बेइदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा" हे भगवन् मे छद्रियो वाजा तिर्यग्यो निः नपुंसठी डेटला अअरना होय छे ? "गोयमा !” डे गौतम ! 'बेइंदियतिरिक्खजोणियपुंसा अगविद्या पण्णत्ता" मे छू द्रिय वाजा तिर्यग्योनिः नपुंस ने प्रारनाम्या छे. पुलाकिमि जाव समुह लिक्खा" इत्यादि प्रज्ञायना सूत्रना पडेसा पहला अडेवाभां याच्या प्रभा] या संबंधां तमाम अथन मडियां समल तेवु " से तं बेइंदियतिरिक्ख'जोणिया' मा प्रभाहो मे छद्रिय वांजा तिर्यग्योनिङ नयुं सोना समधनु स्थन सभाप्त थयु. "एव तेइंदिया वि चउरिंदिया वि” मे द्रिय वाजा तिर्यग्योनि नपुं सोना अथन પ્રમાણે જ ત્રણ ઇંદ્રિયો વાળા તિશ્યોનિક નપુંસકો અને ચાર ઈદ્રિય વાળા તિર્યંચ્યોનિક નપુ સાનુ નિરૂપણુ સમજી લેવું
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હવે પાંચ ઇન્દ્રિય વાળા તિર્યંગ્યાનિક નપુ સકેાનુ નિરૂપણુ किं तं पचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा” हे भगवन् पांच નપુંસકા કેટલા પ્રકારના કહ્યા છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ
કરવામાં આવે છે.— “સે इंद्रियो वाजा तिर्यग्योनि ગૌતમ સ્વામીને કહે છે કે