Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 623
________________ प्रमेययोतिका टीका प्र० २ सू० २० विशेषतस्तिर्यगादिसम्बन्धिपष्ठमल्पबहुत्वम् ६७१ उपदेन अप्क्रायिकतेजस्कायिकवायुकायिकैकेन्द्रियतिर्यगूयोनिकनपुंसकानां ग्रहणं भवति । 'बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् 'तेइंदियतिरिक्खज़ोणियणपुंसगाणं' त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् 'चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिक्रनपुंसकानास् ‘पंचिंदियतिरिक्खज़ोणियणपुंसगाणं' पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानान् ‘जलयराणं' गर्भव्युत्क्रान्तिकजलचराणाम् 'थलयराणं' गर्भजस्थलचराणाम् 'खहयराणं' गर्भजखेचराणाम् 'कयरे कयरेहिंतो' कतरे कतरेभ्यः 'जाव विसेसाहिया' यावद्विशेषाधिकाः, अत्र यावत्पदेन अल्पा वा बहुका वा, तुल्या वेत्येतेषां ग्रहणं भवतीति षष्ठाल्पबहुत्वविषयकः प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' ! इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सव्वत्थोवा' सर्वस्तोकाः सर्वेभ्योऽन्पीयांसः 'खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा' खेचरतिर्यग्योनिकपुरुषा भवन्तीति, 'खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' खेचरतिर्यग्योनिकपुरुषापेक्षया खेचरतिर्यग्योनिकस्त्रियः सख्येयगुणा अधिका भवन्ति त्रिगुणत्वात् । 'थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसासकों के, "वेइंदियतिरिक्खोणियणपुंसगाणं' दो इन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसको के "तेइंदियतिरिक्खजोणयणपुंसगाणं" ते इन्द्रियतिर्यग्यनिकनपुंसकों के "चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" चौइन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकों के, 'पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकों के, "जलयराणं' गर्भजजलचरोके, "थलयराणं' गर्भजस्थलचरो के एवं 'खहयराणं' गर्भजखेचरो के बीच में "कयरेकयरेहिंतो जाव विसेसाहिया' कौन किनसे अल्प है कौन किनसे बहुत है ? कौन किनके बराबर है ? और कौन किनसे विशेषाधिक है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा ? सव्वत्थोवा खहयर तिरिक्खजोणियपुरिसा'.हे गौतम ? सब से कम खेचर तिर्यग्योनिक पुरुष है 'खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणागो' खेचर तिर्यग्योनिक पुरुषों की अपेक्षा खेचर तिर्यग्योनिकस्त्रियाँ संख्यात गुणी अधिक है क्योकि पुरुषो की अपेक्षा तिगुनी होती है। 'थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा' खेचरत्रियो की तिरिक्वजोणिय णपुंसगाणं" मेद्रियवाणातिय यानि नसभा "तेइंदियतिरिक्खजोणिय पापुंसगाण" ऋणन्द्रिय qil तिय योनि नसभा "चउरिदियतिरिक्खजोणिय पुंसगाणं" या न्द्रियो वा तिय योनि नपु सीमा "पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" पाय द्रियो तियं यानि नसभा “जलयराण" or arसयराम थल यराणं" शमन स्थलमा सने "खहयराणं" ग°07 जेयरामा "कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा' नाथी १६५ छ ? आय डीनाथी वधारे छ ? at अनी भराभर छ ? અને કોણ જેનાથી વિશેષાધિક છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ ગૌતમ સ્વામીને કહે છે કે"गोयमा ! सम्वत्थोवा खहयरतिरिक्खजोणियपरिसा" "गीतमा सौथी सौछा मेयर तिर्य योनि पुरुष छे. 'खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" मेयर तिय योनि પુરૂષો કરતા ખેચર તિર્યોનિક સ્ત્રિયો સંખ્યાત ગણી વધારે છે. કેમકે પુરૂષો કરતાં સ્ત્રિયોનું प्रेमा धारे छे “थलयर पंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा मेयर ७७

Loading...

Page Navigation
1 ... 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690