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जीवाभिगमसूत्र
पिता इति । 'से किं तं कम्मभूमिया' अथ कास्ताः कर्मभूमिकाः स्त्रियः कर्मभूमिकाः स्त्रीणां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः उत्तरयति 'कम्मभूमिया पण्णरसविदाओ पन्नत्ताओं' कर्मभूमिकाः स्त्रियः पञ्चदशविधाः - पञ्चदशप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः - कथिताः । 'तं जहा ' तथा 'पंच भर'सु' पञ्चसु भरतक्षेषु 'पंचसु एखए ' पञ्चसु ऐरवतेषु पंचसु महाविदेहम्' पञ्चम् महाविदेहेषु, एतेषु पञ्च पञ्चसु भरतैरवतमहाविदेहाख्येषु कर्मभूमिक्षेत्रेषु समुत्पन्नानां मनुष्याणां स्त्रियः कर्मभूमिकाः पश्चदशप्रकारका भवन्तीति भावः । ' से त्तं कम्मभूमिगमणुस्सित्योओ' ता एताः कर्मभूमिका मनुष्य स्त्रियः इति । मनुष्यस्त्रीरूपसंहन्नाह - 'सेतं मणस्तित्वीओ' ता एता मनुष्यस्त्रियो निरूपिता इति ॥
क्रमप्राप्ताः देवत्रीः निरूपयितुं प्रश्नयन्नाह - 'से किं तं' इत्यादि 'से किं तं देवित्थयाओ' अथ कास्ता देवस्त्रियः - देवस्त्रीणां कियन्तो भेदा भवन्तीति प्रश्नः, उत्तरयति - 'देवित्यीओ चविव्हा पन्नत्ता' देवस्त्रीयश्चतुर्विधाश्चतुष्प्रकारका प्रजप्ता - कथिता इति प्रकारमेदमेव दर्शकितने प्रकार की कही गई है ' 'गोयमा' हे गौतम! "कम्मभूमिया पन्नरसविहाओ पन्नत्ताओ" कर्मभूमि स्त्रियां पन्द्रह प्रकार की कही गई है "ते जहा " जैसे- "पंच भरहेन” पांच भरत क्षेत्रों की, "पंचसु एरवएसु" पांच ऐवत क्षेत्रो की "पचसु महाविदेहेस" पाँच महा विदेहों की ऐसे पन्द्रह क्षेत्रों की स्त्रियां पन्द्रह प्रकारकी होती है, 'से तं कम्म भूमगमणुस्सित्थी ओ' इस प्रकार से ये पन्दर स्त्रिर्यां कर्मभूमिज स्त्रियाँ कही गई हैं। 'से तं मणुस्सित्थीओ' मनुप्यस्त्रियाँ का यह प्रकरण समाप्त हुआ ।
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अब सूत्रकार क्रमप्राप्त देवस्त्रियों का निरूपण करते हैं इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है - " से किं तं देवित्थीओ" हे भदन्त | देवस्त्रियों के कितने मेद है ? गौतम ! "देवित्थओ चउत्रिहा पन्नत्ता" देवस्त्रियों के चार भेद हैं । "तं जहा" जो इस प्रकार से हैं- " भवणवासि देत्रित्थीओ वाणमंतर देवित्थीओ, जोइसियदेवित्थीओ, वैमाणिय
रीते या श्रीस अारनी "अकम्म भूमियाओ" अर्भ भूभिन्न स्त्रियो छे. "से कि तं कम्मभूमियाओ" हे भगवान् उर्भभूमि स्त्रियेोटिसा अारनी ऐसी छे ? "गोयमा कम्मभूमियापन्नरस विहाओ पन्नताओ' हे गौतम ! उर्भ भूमि स्त्रियो 'हर प्राश्नी ४डेस छे. "तं जहा " ते या प्रभा छे, “पंचसु भरहेसु" पाथ भरत क्षेत्रमां उत्पन्न थयेसी स्त्रियो, "पंच परवपसु" पांथ भैरवत क्षेत्रोभां उत्पन्न थयेसी स्त्रियेो, “पंचसु महाविदेहेसु" यांय भा વિદેહામાં ઉત્પન્ન થયેલી ક્રિયે! આ પ્રમાણે પાર ક્ષેત્રોમાં પદર પ્રકારની સ્ત્રિ થાય છે. “सेत कम्मभूमिगमणुस्सित्थीम" मा प्रभा मा पहिर अारनी स्त्रियाने उर्भ भूमि मनुष्य स्त्रिये। हेवामां आवे छे. "से तं मनुस्सित्थीओ" या प्रभा भनुष्य स्त्रियोना ભેદો કહ્યા છે
હવેસૂત્રકાર ક્રમાગત દેવની શ્રિયાનું નિરૂપણ કરે છે આમાં ગૌતમ સ્વામી પ્રભુને मे पूछे छे है- "से किं त देवित्थीओ" हे भगवन् देव स्त्रियांना भेटला ले। सा