Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 542
________________ ५२० जीवाभिगमसूत्रे ख्यातगुणा इति । ब्रह्मलोककल्पदेवपुरुपेभ्यो माहेन्द्रकल्पदेवपुरुषा असंख्यातगुणाः, 'सणंकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' माहेन्द्रकल्पदेवपुरुपेभ्यः सनत्कुमारकल्पदेवपुरुषा असंख्यातगुणाः, 'ईसाणकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' एभ्यः सनत्कुमारकल्पदेवपुरुपेभ्य गानकल्प- । देवपुरुपा असंख्यातगुणा इति । अयं भावे. सहस्रारकल्पादारभ्य ईशानक पपर्यन्तं देवपुरुपा: प्रत्येकं यथोत्तरं क्रमशः असंख्यातगुणाः सन्तीति । 'सोहम्मे कप्पे देवपूरिसा संखेज्जगणा' ईशानकल्पदेवपुरुपेभ्यः सौधर्मकल्पे देवपुरुषाः संख्यातगुणा इति । अत्रेदमवधेयम्---- पश्चानुपूर्व्या अच्युतकल्पदेवपुरुषेभ्य आरम्य आनतकल्पपर्यन्त देवपुरपाः अधस्तनौवेयकदेवपुरुपेभ्यो यथोत्तरं संख्यातगुणा' सन्ति । तथा एवमेव पश्चानुपूर्व्या सहन्नारकल्पदेवपुरुपत आरभ्य ईशानकल्पदेवपुरुपपर्यन्तं देवपुरुपा आनतकल्पदेवपुरु पेभ्यो यथोत्तरम् असंख्यातगुणा ख्यातगुणे कधिक होते है । ब्रह्मलोकके देव पुरुष से माहेन्द्र कल्प के देव पुरप असंख्यात गुणे अधिक होते हैं। तथा-'सणंकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' माहेन्द्र कल्प के देव पुरपो से सनत्कुमार कल्प के देव पुरप असंख्यात गुणे अधिक होते हैं । 'ईसाणकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' सनत्कुमार कल्प के देव पुरुपों से ईशान कल्प के देवपुरुप असंख्यात गुणे अधिक होते है। तात्पर्य यह है कि सहस्रार कल्प से लेकर ईशान कल्प पर्यन्त के देवपुरुप एक एक से आगे आगे के देव पुरुप क्रमशः असख्यात गुणे अधिक होते है । 'सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा' ईशान कल्प के देव पुरुपो से सौधर्म कल्प के देवपुरुप संख्यातगुणे अधिक होते है । यहाँ सारांश यह है-पश्चानुपूर्वी से-अच्युतकल्पके देवपुरुषो से लेकर आनतकल्पके देवपुरुपपर्यन्त अधस्तन ग्रौवेयकदेवपुरुपो से यथोत्तर-एकसे आगे दूसरे देवपुरुष सख्यतगुणे अधिक होते है, और इसी प्रकार पश्चानुपूर्वी से आनतकल्पके देवपुरुपोकी अपेक्षा सहवाग्कल्पसे लेकर ईशानકલ્પના દેવ પુરુષે અસંખ્યાત ગણા વધારે હોય છે લાન્તક કલ્પના દેવ પુરૂ કરતાં બ્રહ્મલેક કલ્પના દેવ પુરૂષ અસ ખ્યાત ગણું વધારે હોય છે બ્રહ્મલેકના દેવ પુરૂષો કરતાં મહેન્દ્ર ४पना व ५३षो असभ्यात पधारे डाय छे. तथा "सणंकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगणा" माहेन्द्र उपना वपुषा ४२ता सनत्भार ४८पना हेवपुरुषी असण्यात गए। पधारे हाय छे. "ईसाणकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" सनछुभार ४६५ना हेवपु३को ४२त। , ઈશાન કલ્પના દેવ પુરૂષો અસંખ્યાત ગણું વધારે હોય છે આ કથનનુ તાત્પર્ય એ છે કેસહસ્ત્રાર ક૯૫થી લઈને ઈશાન ક૯પ સુધીના દેવ પુરૂષો એક એકનાથી આગળ આગળના દેવ ४३५ो उमथी असण्यात ग वधारे हाय छे “सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा" -ઈશાન કલ્પના દેવ પુરૂષો કરતાં સૌધર્મ ક૯૫ના દેવ પુરૂષો સ ખ્યાતિ ગણું વધારે હોય છે. આનો સારાંશ એ છે કે--પશ્ચાનુપૂર્વિથી-અચુત કલ્પના દેવ પુરૂષોથી લઈને આનત કલ્પના દેવ પુરૂષો સુધી અધસ્તન રૈવેયક દેવ પુરૂષો ક્રમથી એટલે કે એનાથી બીજા દેવ પુરૂષી સંખ્યાત ગણા વધારે હોય છે. અને એજ પ્રમાણે પશ્ચાપૂવથી આનત કલ્પના દેવ

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