Book Title: Jinkrupachandrasurishwar Charitram
Author(s): Jaysagarsuri
Publisher: Jaysagarsuri
View full book text
________________
SinMahavir.jan AradhanaKendra
www.kobatirtm.org
Acharys 5 kanssagan Gyanmand
द्वितीयः सर्गः।
चरिचरित्रम्
श्रीजिन
दीक्षणाऽऽदिभिः पवित्रमंहसां हरम् ॥३६॥ (युग्मम् ) (उपजातिः)-अनन्त-कैवल्यसमुद्भवच, यस्मिश्च निर्वाणमुपेयिवांसः। कृपाचन्द्रा अनेक-कल्याणकमाविरासीव, समावसारो रचितश्च यत्र॥३७॥ संघ चतुओं समतिष्ठिपच, श्रीवीतरागो भगवान्हि यत्र । प्राय
च तत्तव्यतिशायितीर्थ-स्थलं प्रविद्वान् समुपाजगाम ।। ३८ ।। प्राचीन-नूत्नाखिल-पौर्वमेवं, सगौरं वृद्धमरुस्थलीयम् । कच्छीय-सौराष्ट्रिक-कौङ्कणं च, लाट्यं समस्तं वढियारदेश्यम् ॥ ३९ ॥ वैदर्भिकं मालवदेशजातं, सौवीर-सिन्धूद्भव
मैदपाटम् । छत्तीशयुक्तं गढमाप्य सर्वे, पाश्चालिक तीर्थमपश्यदेषः ॥ ४० ।। (बसन्ततिलका)-शत्रुञ्जयाऽऽदिबहुपावन॥६४॥
तीर्थभूमि, कल्याणकाऽऽदिबहुतीर्थभुवश्च रम्याः । संस्पृश्य भूरितपसा कृतनिर्मलं हि, देहं व्यशोधयदसौ जगदेकवन्धः ॥४१॥ विशुद्ध-सैद्धान्तिकतत्वबोध, सम्प्राप्य वाचा निरवद्यया हि । शश्वत्तदाख्याय गिरं स्वकीयां, पवित्रयामास महामनीषी ॥ ४२ ॥ ( उपजातिः )-महाबतानामथ पञ्चकानां, बाण-द्वि-सद्भावनया महत्या । अनित्यतायक-विभावनाभि-मनो व्यशोधि प्रभुणाऽमुना हि ।। ४३ ।। ( वसन्ततिलका )-सद्दान-शील-तपसा जप-संयमाऽऽद्यैः, पूर्त व्यधात् त्रिकरणाऽऽदिकयोगमीडयः । षड्दर्शनोदित पदार्थमचोधि सम्यग् , जग्राह चाऽस्य परमार्थमसौ पटीयान् ॥ ४४ ॥ स्वीयान्यदीय-समयाध्ययनं विधाय, तत्रोभयत्र परमां पटुतां प्रपद्य । प्रख्यातिमाप्य सकले धरणीतलेऽस्मिन् , सम्यक्त्वमित्थममलं समवीवृधत्सः ॥४५॥ सद्गौरवाऽतिविनय-प्रवितानदक्षो, ज्ञानं च सर्वविषयाऽवगमक्षम हि । लब्ध्वा तदीय-विषय-प्रतिपादनेन, प्राशुशुधच जयदुचलकीर्तिशाली ।। ४६ ॥ आलोचिता च विहिताऽखिल-पातकाऽऽदे, शुद्धव्रती निरतिचार--सुशीलपाली। चारित्र--रत्न--सतताऽधिकशोभमानः, प्रादीपि भूरि सवितेव जगत्यजस्रम् ॥४७॥ निष्काम--बाब-विविधं तप आन्तरं च,
MARRORECANSAX
ACAKACHAR
For Private And Personal use only

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144