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प्र.१६-जितने मनुष्य जैनधर्म पालते होवे तिन सर्व मनुष्योंको अपने नाइ समान मानना चाहियेके नही. जेकर नाइ समान मानेतो तिनके साथ खाने पीनेकी कुछ अमचलहै के नही.
न. जितने मनुष्य जैन धर्म पालते होवे तिन सर्वके साथ अपने नाश करतांनी अधिक पियार करना चाहिये, यह कथन श्राइ दिनकृत्य ग्रंथमें है और तिनोकी जातीयां जेकर लोक व्यवहार अस्पृश्य न होवें तदा तिनके साथ खाने पीनेकी जैन शास्त्रानुसार कुल अमचल मालुम नही होतीहै क्योंकि जब श्रीमहावीरजीसें ७० वर्ष पी और श्रीपार्श्वनाथजीके पीछे बडे पाट श्रीरत्नप्रनसूरिजीने जब मारवामके श्रीमाल नगरसें जिस नगरीका नाम अब निलमाल कहेतेह तिस नगरसे किसी कारणसें नीमसेन राजेका पुत्र श्रीपुंज तिसका पुत्र नत्पलकुमर तिसका मंत्री महम ए दोनो जणे १८ हजार कुटंब सहित निकलके योधपुर जिस जगेहै तिससे वीस कोसके लगनग उत्तर दिशिमे लाखों आदमीयोकी
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