________________
४४
नही १ कर्महैके नही १ जो जीव है सोइ शरीर है वा शरीरसे जीव अलग है ३ पांच भूत वा नही ४ जैसा इस जन्ममे जीवहै जन्मांतर में ऐसाही होवेगा के अन्य तरेका होवेगा ५ मोक्ष के नही ६ देवते है के नही ७ नारकी है के नही ० पुन्य है के नही ए परलोक है के नही १० मोक्षका नपाय है के नही ११. इनके दूर करने का संपूर्ण कन विशेषावश्यक है. तिस दिनही चंपा के राजा दधिवाहनको पुत्री कुमारी ब्रह्मचारणी चंदनवा लाने दीक्षा लीनी. यह बमो शिष्यणी हुई. इसके साथ कितनीही स्त्रीयोंने दीक्षा लीनी. दूसरी देशनामे यह बनाव बनाया.
प्र. ६० – गणधर किसकों कहते है.
उ. - जिस जीवनें पूर्व जन्ममे शुभ करणी करके गणधर होनेका पुन्य उपार्जन करा दोवे सो जीव मनुष्य जन्म लेके तीर्थकर के साथ दीक्षा लेता है अथवा तीर्थंकर प्रतिको जब केवलज्ञान होता है तिनके पास दीक्षा लेता है, और बमा शिष्य होता है; तीर्थंकरकें मुखसें त्रिपदी सुनके ग
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com