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जेंद हुए ४. पांचमा भेद निा जिसके उदयसें सुखें जागे सोनिश १ जो बहुत दलाने चलानेसें जागे सोनिश निश १ जो बैठेकों नींद आवे सो प्रचला ३ जो चलतेकों प्रावे सो प्रचला प्रचला ४ जो नींद में करके अनेक काम करे नींदमें शरीर में बल बहुत होवे है, तिसका नाम स्त्यान निद्राहै ५. पांच इंदियांकें ज्ञानमे हानि करती है, इस वास्ते दर्शनावरणीयको प्रकृति है, एवं ए नेद दर्शनावरणीय कर्मके हुए, इस कके बांधने हेतु ज्ञानावरणीयकी तरे जानने, परं ज्ञानकी जगे दर्शन पद कहनां, दर्शन चकु अचक्कु आदि, दर्शनी साधु आदि जीव, तिनकी पांच इंडियाका बुरा चिंते, नाश करे अथवा सम्मति तत्वार्थ द्वादशार नयचक्रवाल तर्कादि दर्श न प्रजावक शास्त्र के पुस्तक तिनका प्रत्यनीकप यादि करे तो दर्शनावरणीय कर्मका बंध करे, इति दूसरा कर्म २.
अथ तीसरा वेदनीय कर्म तिसकी दो प्रसाता वेदनीय २
कृतिहै; साता वेदनीय १
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