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यंत्रसें जानना धर्म पांच प्रकारका है. एक धर्म कं- इस वन समान नास्तिक मतियोंथे। वन सका माना हुआ धर्म है, सर्वथा श्रो. मानहै, जैसे मासान्नी शुन्न फल नही देता है, कंधेरी वननि और परनवमें नरकादि गतियोंमे ष्फल है. सीख अनर्थकों देता है, और इस लो प्रकारसे केव कमें लोक निंदा! धिक्कार नृप दंमाल कांटो क-दिके नयसे इस कुकर्मी नास्तिक मरके व्याप्त होतमें प्रवेश करना मुशकल है. और नेसें लोकांकों जो इस मतमें प्रवेश कर गये है, ति विदारणादि नकों स्व श्वानुसार मद्य मांसादिन अनर्थ जन-कण मात, बहिन. बेटीको अपेक्षा क होता है,रहित स्त्रीयोंसे नोगादि विषयके सु.
और तिस व-स्वादके सुखको लंपटतासें तिस नानमे प्रवेश निस्तिक मतमेसे निकलनानी मुशकल र्गमननी 5-हे, इस वास्ते यह धर्म सर्वथा सुझकर है॥१॥ जनोको त्यागने योग्यहै, इस मतमें
धर्मके लक्षणतो नही है, परंतु तिसके माननेवाले लोकोने धर्म मान रस्का
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