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२४५ ढने ए. दशमें तृतमें चतुर्मासेमें शत्रू ऊपर चढाइ नही करनी १० पोषधोपवासमें रात्रिमें कायोत्स र्ग करना, पोषधके पारणे सर्व पोषध करनेवालों को नोजन करानां ११ अतिथी संविनाग वृतमें पुखिये साधर्मि श्रावक लोकांका, ७३ लह व्य का कर गेम्नां, श्री हेमचंऽसूरिके नत्तरनेकी धर्म शालामें जो मुखवस्त्रिकाका प्रतिलेखक साधर्मिकों ५०० पांचसौ घोमे और बारां मामका स्वामी करा, सर्व मुख वस्त्रिकाके प्रतिलेखकांकों. ५०० पांचसौ गाम दीने १२ इत्यादि अनेक प्रकारकी शुलकरणी विवेक शिरोमणि कुमारपाल राजाने करीयो, यह गुरु १ धर्म २ और कुमारपालके - ताके स्वरूप नपदेश रत्नाकरसे लिखे है,
प्र. १६३-इस हिंस्थानमें जिलने पंथ चम रहेहै, वे प्रथम पो किस क्रमसे हूएहै, जैसे प्रा बके जानने में होवे तैसें लिख दीजिये?
उ.-प्रश्रम झपन्नदेवसें जेंनधर्म चला? पीने सांख्यमत पो वैदिक कर्म कामका ३ पीने वे दांत मत ५ पोरे पातंजलि मत ए पी नैयायि
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