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मारे, कृतघ्नी होवे, विश्वासघाती, मित्र शेही, नत्सूत्र प्ररूपे, मिथ्यामतकी महिमा बढावे, कृश्न नील, कापोत लेश्यासे अशुन्न परिणामवाला जोव नरकायु बांधे १ तिर्यचकी आयुके बंध हेतु यह है. गूढ हृदयवाला, अर्थात् जिसके कपटकी कि सीको खबर न पड़े, धूर्त होवे, मुखसे मीग बोले, हृदयमें कतरणी रखे, जूठे दूषण प्रकाशे, आर्त्तध्यानी इस लोकके अर्थे तप क्रिया करे, अपनी पूजा महिमाके नष्ट होनेके जयसे कुकर्म करके गुरुआदिकके आगे प्रकाशे नहीं, जूठ बोले, कमती देवे, अधिक लेवे, गुणवानको इर्षा करे,
आर्तध्यानी कृश्नादि तीन मध्यम लेश्यावाला जीव तिर्यंच गतिका आयु वांधे. ति तिर्यंचायु १ अथ मनुष्यायुके बंधहेतु मिथ्यात्व कषायका स्वनावेही मंदोदयवाला प्रकृतिका नकि धूल रेखा समान कषायोदयवाला सुपात्र कुपात्रकी परीक्षा विना विशेष यश कीर्तिकी वांग रहित दान देवे, स्वनावे दान देनेकी तीव्र रुचि होवे, क्षमा, आर्जव, मार्दव, दया, सत्य शौचादिक मध्यम गुणा.
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