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ताहै, और यह पिडला नाम सुधारके तिसकों पोनपत्रिका लिखने में मैं शंकानी नही करताहूं, सोइ नाम संस्कृतमें पौर्म पत्रिकाकी बराबर हो वेगी, और सो व्याकरण प्रमाणे पूर्ण पत्रिका करते हुए अधिक शुइनाम है, इन ग्रहों कुलोंमेसें परिहासक नामनी एक कुलहै, जो इस लेखमें कर गए हूए नाम पुरिघ-क के साथ कुबक मिल तापणा बतलाताहै, दूसरे मिलते रूपों कपर वि चार करता हूआ मैं यह संनवित मानताहूं के, यह पिडला रूपपरिहा.क के बदले भूलसे वांचनेमें आयाहै; दूसरी पंक्तिके अंतमे पुरुषका नाम प्रायें बड़ी विनक्तिमें होवे, और देवदत्त व सुधारके देवदतस्य कर सक्तेहै ॥ ऐसें पूर्वोक्त सुधारेसे प्रथम दो पंक्तियां नीचे मूजब होतीहै ॥ १ सिह (म्) नमो अरहतो महावीर (अ) स्य् (अ) देवनासस्या. २, पूर्वव्, (ओ) य् (ए) अर्यय(ओ) ह् (अ) नियतागेण (तो) प् (अ) रि (हास, क् (अ) कुल (तो) प् (ोन्) अप् (अ) त्रिकात् (ओ) साखातोगण (३) स्य अर्यय-देवदत्त (स्य)
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