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२०६ ....प्रपा (दी) ना....इसका तरजुमा नीचे लिखते है॥
संवत् ४७ नष्ण कालका महीना २ दूसरा मिति २०ऊपर लिखी मितिमें यह संसारी शिष्य द....का.............यह एक पाणी पीनेका गम देनेमें आयाथा, यह रोहनदी (रोहनंदि)का शिष्य और चारण गणके पेतिधमिक (प्रतिधर्मिक) कु लका आचार्य सेनका निवतन (है)। पिळला लेख जो ऐसोहोरीतीसे कल्पसत्रमें जनाया हुआ एक गण कुल तथा शाखाका कुबक अपभ्रंस और करे हुए नामाकों बतलाता है, सो नंबर २० चित्र १५का लेख है, तिसकी असली नकल नीचे लिखे मूजब वंचातो है ॥पंक्ति पहिली ॥ सिहन नमो अरहतो महावीरस्ये देवनासस्य राज्ञा वामुदेवस्य संवतसरे । ए.+७ । वर्ष मासे ४ दिवसे १०+१ ए तास्या॥पंक्ति दूसरी ॥ पूर्ववया अर्यरेहे नियातो गण पुरीध. का कुल व पेत पुत्रीका ते शाखातो गणस्य अर्य-देवदत्त. वन. ॥ पंक्ति तीसरी ॥ रयय-क्शेमस्य ॥ पंक्ति ४॥ प्रकगीरीणे॥ पंक्ति
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