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(यह प्रतिमा) कौटिक गहमेंसे वाणिज नामे कु लमेंसें वैरी शाखाका सीरीका नागके आर्य संघ सिंहकी निर्वरतन है, अर्थात् प्रतिष्टित है.॥ इति माक्तर वूलर ॥
अथ दूसरा लेख. नमो अरहंतानं, नमो सि ज्ञानं, सं. ६० + २ ग्र. ३ दि. ५ एताये पुर्वायेरार कस्य अर्यककसघ स्तस्य शिष्या आतापेको गह वरी यस्य निर्वतन चतुवस्यन संघस्य या दिना पमिना (नो. १) ग. (१ ? वैहिका ये दत्ति ॥ सका तरजमा । अरहंतने प्रणाम, सिइने प्रणा. म, संवत ६२ यह तारीख हिंजस्थान और सीथी श्रा बोचके राजायोंके संवत्के साथ सबंध नही रखती है, परंतु तिनोंसे पहिलेंके किसी राजेका संवत् है, क्योंकि इस लेखकी लिपी बहुत असल है. नश्न कालका तीसरा मास ३ मिति ५ ऊपरकी तारीखमें जिस समुदायमें चार वर्गका स. मावेश होताहै, तिस समुदायके नपत्नोग वास्ते अथवा हरेक वर्गके वास्ते. एकैक हिस्सा इस प्र. माणसे एक। या । देने में आया था। या। यह क्या
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