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१०३ करादि समान रस होवे, सो मधुर रस नामकर्म ५१ शति रस नाम कर्म जिसके नदयसे जीवके शरीरमें तथा शरीरके अवयव कग्नि कर्कस गा यकी जीन समान होवे, सो कर्कस स्पर्श नाम कर्म ५२ जिसके नदयसें जीवका शरीर तथा शरीरके अवयव माखणकी तरे कोमल दोवे, सो मृ स्पर्श नामकर्म ५३ जिसके नदयसे जीवका शरीर तथा अवयव अर्क तूलकी तरे हलके होवे, सो लघु स्पर्श नामकर्म ५४ जिसके नदयसे लो हेवत् नारी शरीरके अवयव होवे, सो गुरु स्पर्श नामकर्म ५५ जिस कर्मके नदयसे जीवका शरीर तथा अवयव हिम बर्फवत् शीतल होवे, सोशोत स्पर्श नामकर्म ५६ जिसके नदयसें जीवका शरीर तथा अवयव उष्ण होवे, सो नष्ण स्पर्श नामकर्म ५७ जिस कर्मके नदयसे जीवका शरीर तथा शरीरावयव घृतकी तरे स्निग्ध होवें, सो स्निग्ध स्पर्श नामकर्म एज जिस कर्मके नदयसें जीवका शरीरावयव राखकी तरे रूखे होवे, सो रुक स्पर्श नामकर्म ५ए इति स्पर्श नाम कर्म नरक, तिर्यच,
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