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मेंतो ऐसे कहताहै किसी जीवको मत मारना, उखोनी न करना, भूखेकों देखके खानेकों देना, और आप पूर्वोक्त काम नहीं करताहै, जीवांकों मारताहै, महा उखी करताहै. नूखसे लाखो क रोमो मनुष्य कालादिमें मर जातेहै, तिनको खा नेकों नही देताहै, इस वास्ते निर्दयो सिद्ध हो. ताहै,
प्र.११७-ईश्वरतो जिस जीवने जैसा जैसा पुन्य पाप कराहै तिसकों तैसा तैसा फल देता है. इसमे ईश्वरकों कुछ दोष नही लगताहै, जैसे राजा चौरकों दंम देताहै और अच्छे काम करने वालेकों इनाम देताहै.
न..-राजातो सर्व चोराकों चोरी करनेसें बंद नही कर सकता है. चाहतातोहै कि मेरे राज्यमें चोरी न होवेतो ठीकहै, परंतु ईश्वरकों तो लोक सर्व सामर्थ्यवाला कहतेहै, तो फेर ई. श्वर सर्व जीवांकों नवीन पाप करनेसे क्यों नही मन करताहै. मनै न करनेसे ईश्वर जान बूझके जीवोसें पाप करताहै. फेर तिसका दंम देके जी
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