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१४६ किसीकी रची हुश् नही है, क्योंकि सर्व विद्यानोका यह मतहैके जो वस्तु कार्यरूप नुत्पन्न होतीहै तिसका नपादान कारण अवश्य दोनां चाहिये. विना नपादानके कदापि कार्यको नत्पत्ति नही होती है, जो कोइ विना नपादान कारणके वस्तुकी उत्पति मानता है, सो मूर्ख, प्रमाणका स्वरूप नही जानता है; तिसका कथन को महा मृढ मानेगा, इस वास्ते आकाश १ श्रात्मा २ काल ३ परमाणु ५ इनका नपादान कारण को नहीं है, इस वास्ते ये चारो वस्तु अनादि है, इ. नका कोश रचनेवाला नहीं है, इसे जो यह कहना है कि सर्व वस्तुयों ईश्वरने रचीहै सो मि. च्याहै, अब शेष वस्तु पृथ्वी १ पानी अग्नि ३ पवन ४ वनस्पति ५ चलने फिरने वाले जीव रहे है, तथा पृथ्वीका नेद नरक, स्वर्ग, सूर्य, चंच, ग्रह, नक्षत्र, तारादि है, ये सर्व जम चैत. न्यके उपादानसें बने है, जे जोव और जम परमाणुओंके संयोगसे वस्तु बनीहै, वे ऊपर पृथ्वी प्रादि लिख आयेहै, ये पृथ्वी आदि वस्तु प्रवाह
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