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दोवे, यह लब्धि केवल ज्ञानके विना हुआ
जाए नही.
चारण लडी १० - चारण दो तरेके होते है, एक जंघा चारण १ दूसरा विद्या चारण २ जंधा चारण नसकों कहते है जिसकी जंघायोंमे आका शमें नमनेकी सक्ति नृत्पन्न होवे सो ऊंघा चार रा. ऊंचा तो मेरू पर्वतके शिखर तक नमके जा सक्ता है, और तिरबा तेरमे रुचक द्वीप तक जा सकता है, और विद्याचारण ऊंचा मेरु शिखरतक और तिरछ । आठमें नंदीश्वर द्वीप तक विद्याके प्रभावसें जा सक्ता है, येह दोनो प्रकारकीं लब्धिको चारण लब्धि कहते है, यह साधुकों होती है.
सीबिष लो ११ आशी नाम दाढाका है, तिनमें जो विष होवे सो आशोविष. सो दो प्रकारे है, एक जाति शोविष दूसरा कर्म श्राशीविष, तिनमें जाति जदरीके चार भेद है. विबु १ सर्प २ मींक ३ मनुष्य ४ और तप क रनेसें जिस पुरुषको आशीविष लब्धि होती है सो शाप देके अन्यकों मार सक्ता है, तिसकोंनी
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