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दीपककी तरें लोका बुऊ जाना, अर्थात् सर्व ar परंपरायका सर्वथा अभाव हो जाएगा, अ थवा शुद्ध होकी परंपराय रहती है. पांच स्कंधोसें वस्तु उत्पन्न होती है, पांचो स्कंधनी कणि कदै, कारण कार्य एक कालमे नही है, इत्यादि सर्व बौद्ध मतका सिद्धांत प्रयोक्तिक है १ बुद्धके शिष्य देवदत्त ने बुधको मांस खाना बुकानें के वास्ते बहुत उपदेश करा, परंतु बुद्धने न माना, अंत में - श्री सूयरका मांस और चावल अपने नक्तके घरसें लेके खाया, और वेदना ग्रस्त होकर के मरा, और पालीके जीव बुद्धकों नही दीखे तिससें कच्चे पानी के पीने और स्नान करनेका उपदेश अपने शिष्योंकों करा, इत्यादि असमंजस मतके उपदेशककों हम क्यों कर सर्वज्ञ परमेश्वर मान सके, जो जो धर्मके शब्द बौद्ध मतमें कथन करे है वे सर्व शब्द ब्राह्मणोके मतमेंतो है नही, इस वास्ते वे सर्व शब्द जैन मतसें लीये है. बुद्ध से प हिलें जैन धर्म था, तिसका प्रमाण हम ऊपर लिख आए है, बुद्धके शिष्य मौलायन और शारिपु
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