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शुभ फल कथन करा है.
प्राणायु एक करोड २०४० हा पांच इंद्रिय और मनबपूर्व. १२ चाश लाख. यी प्रमाण.ल, वचनबल, कायाबल पद.
और उच्छास नि:श्वास | १५००००००
और आयु इन दशो प्राणाका जहां विस्तार से स्व
रूप कथन करा है. क्रिया| नव करोड ४०९६ हा जिसमे कायक्यादि क्रिविशाल पद. थी प्रमाण. या वा संयमक्रिया छंदपूर्व. १३ ९००००.०० शाहीसे लिक्रियादि क्रियायोंका कथ
खा जावे. न है. लोक बि माढवारा क८१९२ हा लोकमें वा श्रुतज्ञान लो
दुसार रोड पद. थी प्रमाण कमें अक्षरोपरि बिंदु समापूर्व. १४/१२५०००००० न सार सर्वोत्तम सर्वाक्षरों
के मिलाप जाननेकी लब्धिका हेतु जिसमें है.
प्र. १५४-जैनमतके पंच परमेष्टिकी जगे प्राचीन और नवीन मत धारीयोनें अपनी बुद्धि अनुसारे लोकोंने अपने अपने मतमें किस रोतेसें कल्पना करोहै, और जैनी इस जगतकी व्यवस्था किस हेतुसे किस रीतोसें मानते है ?
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