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वोपरि केवलज्ञान नत्पन्न हुआ । अब विचारीये जिसने नमध्यान और तप गेम दीया और नित्यप्रते खानेका निश्चय करा तिसकों निर्हेतुक बारोध करनेका और पुनर्जन्मके कारणोंका ज्ञान कैसे हो गया, यह केवल अयौक्तिक कथनहै. मो जलायन और शारिपुत्र और आनंदकी कल्पनासें ज्ञानी लोकोमें प्रसिद्ध हुआ है १, बुद्धने यह क. थन करा है, आत्मा नामक कोइ पदार्थ नहीं है, आत्मातो अज्ञानियोने कल्पन करा है , जब बु हुने ज्ञानमें आत्मा नहीं देखा तव केवलज्ञान किसकों हुआ, और बुद्धने पुनर्जन्मका कारण कि सका देखा, और पूर्व जन्मांतर करने वाला किसकों देखा, और पुन्य पापका कर्त्तानूक्ता किसको देखा, और निर्वाण पद किसकों हुआ देखा, जेकर को यह कहके नवीन नवीन कणको पि ग्ले २ कणोकी वासना लगती जाती है, कर्ता पिबला कणहै, और नोक्त अगला कणहै, मोदका साधन तो अन्य कणने करा, और मोक्ष अ गले कणकी हुश्, निर्वाण उसको कहतेहै कि जो
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