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है वा नही?
न.-जो जैनी लोक अपने पुस्तक वहुत यत्नसें रखतेहै यहतो बहुत अच्छा काम करते है, परंतु जैसलमेरमें जो नंमारके आगे पथ्थरकी नोत चिनके नंमार बंध कर गेमा है, और कोइ नसको खबर नही लेता है, क्या जाने वे पुस्तक मट्टी हो गयेहै के शेष कुब रह गयेहै, इस हेतुसे तो हम इस कालकै जैन मतीयोंको बहुत नालायक समझते है
प्र. १७-क्या जैनो लोकों के पास धन न होहैं, जिससे वे लोक अपने मतके अति नुत्तम पुस्तकोंका नझार नही करवाते है ?
न.-धनतो बहुतहै, परंतु जैनी लोकोंकी दो इंडिय बहुत जबरदस्त हो गश्है, इस वास्ते ज्ञान नंमारकी कोश्नी चिंता नही करताहैं.
प्र. १४-वे दोनो इंडियो कौनसी है जो ज्ञानका नद्धार नही होने देती है ?
न.-एकतो नाक और दूसरी जिव्हा, क्यों कि नाकके वास्ते अर्थात् अपनी नामदारोके
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