________________
१२३
धियो थी ?
न - चक्री, बलदेव, वासुदेव जुमति, ये नही थी, शेष प्राये सर्वही लब्धियां थी.
प्र. १३६ - आप महावीरकोंही जगवंत सर्वज्ञ मानतेहो, अन्य देवोंकों नही, इसका क्या कारण है ?
क्र. - अपने २ मतका पक्षपात बोरुके विचारीये तो, श्री महावीरजी में ही जगवंतके सर्व गुण सिद्ध होते है, अन्य देवो में नही.
प्र. १३७ श्री महावीरजीकों हूएतो बहुत वर्ष हुए है, हम क्योंकर जानेके श्री महावीरजीमेंही भगवानपके गुण थे, अन्य देवोंमें नही थे?
न. - सर्व देवोंकी मूर्त्तियों देखनेसें और ति नके मतो में तिन देवोंके जो चरित कथन करे है तिनके वांचने और सुननेसें सत्य जगवंत के लक्ष ए और कल्पित जगवंतोंके लक्षण सर्व सिद्ध हो जावेगे.
प्र. १३८ कैसी मूर्त्तिके देखनें सें भगवंतकी यह मूर्त्ति नहीदें, ऐसे हम माने ?
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com