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कारणसें देवते दुख दे सक्ते है, अन्यको नदी. प्र. १२८ - संप्रतिराजा कौन था ?
न. -- राजगृह नगरका राजा श्रेणिक जिसका दूसरा नाम नंनसार था, तिसकी गद्दी ऊपर तिसका बेटा अशोकचंद दूसरा नाम कोशिक बैठा, तिसने चंपानगरीकों अपनी राजधा नी करी, तिसकै मरां पिबै तिसकी गद्दी ऊपर तिसका बेटा नदायि बैठा, तिसने अपनी राजधानी पामलीपुत्र नगर में करी सो नदायि विना पुत्रके मरण पाया; तिसकी गद्दी ऊपर नायिका पुत्र नंद बैठा, तिसकी नव पेढीयोने नंदही नामसें राज्य करा, वें नव नंद कदलाए. नबमें नंदकी गद्दी ऊपर मौर्यवंशी, चंड्गुप्तराजा बैठा, तिसकी गद्दी ऊपर तिसका पुत्र बिंदुसार बैठा, तिसकी गद्दी ऊपर तिसका बेटा अशोकश्रीराजा बैठा, तिसका पुत्र कुणाल प्रांखासें अंधा था इस वास्ते तिसकों राज गद्दी नही मिली, तिस कुगालका पूत्र संप्रति हुआ, सो जिस दिन जन्याया तिस दिनही तिसकों अशोकश्री राजाने
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