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पोषध करा था, जब जगवंतका निर्वाण हुआ, तब तिन अगरहही राजायोंने कहाकि इस जरतखंझसे नान नद्योत तो गया, तिसको नकलरूप हम इव्यो द्योत करेंगे, तब तिन राजायोने दीपक करे, तिस दिनसे लेकर यह दीपोत्सव प्र. वृत्त हुआ है. यह कथन कल्पसूत्रके मूल पाठमें है. जो अन्य मत वाले दिवालीका निमित्त कथन करतेहै, सो कल्पितहै क्योंकि किति मतके नी मुख्य शास्त्र में इस पर्वको नुत्पत्तिका क. श्रन नहीहै.
प्र. नए-नगवंतके निर्वाण होनेके समयमें शकरंद्रे आयु वधावनेके वास्ते क्या विनती करी श्री, और नगवंत श्री महावीरजीयें क्या नत्तर दीनाथा? ___ न.-शकईझे यह विनती करीश्री के, हे स्वामि एक दणमात्र अपना आयु तुम वधाको, क्योंकि तुमारे एक क्षणमात्र अधिक जीवनेसे तुमारे जन्म नक्षत्रोपरि जस्म राशिनामा तीस ३० मा ग्रह आया है, सो तुमारे शासनकों पीमा
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