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वाले शुद्धोदनके पुत्रके दया कहांसे श्रो, अपितु नही थी. इस ऊपरके श्लोकसे यह आशय निकलताहै कि जब बुध गर्नमें था, तब तिसके सबबसें इसकी माताका नदर फट गयाथा, अथवा नदर विदारके इसकों गर्नमेंसे निकाला होवेगा. चाहो कोश निमित्त मिला होवे, परंतु इनकी माता इनके जन्म देनेसें तत्काल मरगइ थी. तत्काल मरणांतो इनकी माताका बुद्ध धर्मके पुस्तकोमेंनी लिखाहै. और बुझ मांसाहार गृहस्थाबस्थामेंनी करता होवेगा, नहीतो मरणांत तकनी मांसके खानेसे इसका चित्त तृप्तही न हुआ ऐसा बौइमतके पुस्तकोंसेंही सिह होताहै. इस वास्तेही बौइमतके साधु मांस खानेमे घृणा नही करतेहै,
और बेखटके आज तक मांस नदण को जाते है; परंतु कच्चे मांसमें अनगिनत कृमि समान जीव नुत्पन्न होतहै, वे जीव बुधकों अपने ज्ञानसें नही दोखेहै; इस वास्तेही बुध मतके नपासक गृहस्थ लोक अनेक कृमि संयुक्त मांसकों रांधतेहै और खाते है. इस मतमें मांस खानेका निषेध नहीं है,
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