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प्रश्नोमें जब सवाल बनाएथे तब अनेक जा. तियोकी एक जाति बनाश्थी इस वास्ते अबन्नी को सामर्थ पुरुष सर्व जातियोंको एकठो करे तो क्या विरोधहै.
प्र. २१-देवानंदा ब्राह्मणीकी कूखथी त्रिशला दत्रियाणीकी कूरखमें श्रीमहावीरस्वामीकों किसने और किसतरेंसें हरण किना.
न-प्रथमदेवलोकके इंकी आज्ञार्से तिसके सेवक हरिनगमेषी देवताने संहरण कीना तिसका कारण यहहैकि कदाचित् नीच गोत्रके प्रत्नावसे तीर्थकर होने वाला जीव नीच कुलमें नुत्पन्न होवे परंतु तिस कुलमें जन्म नही होताहै इस वास्तै अनादि लोक स्थीतीके नियमोसे इंश से. वक देवतासे यह काम करवाताहै.
प्र. २२-अपनी शक्तिसें महावीरस्वामी त्रिशलाकी कूरखमें क्यों न गये.
उ.-जन्म, मरण, गर्नमें नत्पन्न होनां यह सर्व कर्मके अधीनहै. निकाचित् अवश्य नोगे विना जेन दूर होवे ऐसे कर्मके नदयमे किसीकोनी
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