________________
२६
हिंसा १ मृषावाद २ प्रदत्तादान ३ मैथुन स्त्री आदिकका प्रसंग ४ सर्व परिग्रह ५ इत्यादि सर्व पके कृत्य करने करावने अनुमतिका त्याग कराथा.
प्र. ३६ – श्रीमहावीरजीने नगारपणा कब लीनाथा और किस जगे में लीनाथा और कितने वर्षकी उमर में लीनाथा
न - विक्रमसें पहिले ५१२ वर्षे मगसिर aat ददामी दिन पिबले पहर मे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में विजय महुर्त्तमें चंदना शिवका में बैah चार प्रकारके देवते और नंदि वर्द्धन राजाप्रमुख हजारों मनुष्योंसें परिवरे हुए नानाप्रकारके वार्जित्र बजते हुए बने नारी महोत्सवसें न्यातवनक नाम बागमे अशोकवृक्षके देवे जन्मसें तीस वर्ष व्यतीत हुए दीक्षा लोनीथी. मस्तक के केश अपने हाथसें लुंचन करे और अंदर के क्रोध, मान, माया, लोभका लुंचन करा.
प्र. ३७ - श्री महावीरजीकों दीक्षा लेनेसें तुरत दी किस वस्तुकी प्राप्ति हुईथी.
न. चौथा मनः पर्यवज्ञान उत्पन्न हुआ था.
---
www.umaragyanbhandar.com
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat