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नगवंतकी देशना सुनके बहुत नर नारी अपापा नगरीमें जाके कहने लगे, आजतो हमारो पुन्यदशा जागी जो हमने सर्वझके दर्शन करे, और तिसकी देशना सुनी हमने तो ऐसी रचना. वाला सर्वज्ञ कदे देखा नहीं; यह वात नगरमे विस्तरो तिस अवसरमें तिस अपापा नगरोमें सोमल नामा ब्राह्मणने यज्ञ करनेका प्रारंन कर रस्का था, तिस यज्ञके कराने वाले इग्यारें ब्राह्मगोंके मुख्याचार्य बुलवाये थे, तिनके नामादि सर्व ऐसें थे. इंश्नूति १ अग्निन्नूति २ वायुनूति ३ ये तीनो सगेनाइ, गौतम गोत्री, इनका जन्म गाम मगधदेशमें गोबरगाम, इनका पिता बसुन्नूति, माताका नाम पृथिवी, उमर तीनोकी गृहवासमें क्रमसे ५० । ४६ । ४२ । वर्षकी इनके विद्यार्थी ५०० पांच पांचसौ चतुर्दश विद्याके पारगामी चौथा अव्यक्त नामा १ नारद्वाज गोत्र २ जन्म गाम कोखाक सनिवेस ३ पिताका नाम धनमित्र ४ माता वारुणी नामा ५ गृहवासें नमर ५० वर्षकी ६ विद्यार्थी ५ सौ ७ विद्या १५
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