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है कि जब केवलज्ञान नत्पन्न होवे तब अवश्यही देशना देते है तिस देशनासें अवश्यमेव जोवांकों गुण प्राप्त होताहै, परं श्रीवीरकी प्रथम देशनासे किसीको गुण न हुआ; इस वास्ते अछेरा कहाहै.
प्र. ५-श्रीमहावीर नगवंते दूसरी देशना किस जगें दीनोथी.
न.-जिस जगें केवलझान नत्पन्न हुआ था तिस जगासें ४ कोसके अंतरे अपापा नामा, नगरी थी, तिससे इशान कोनमे महासेन वन नामे नद्यान या तिस वनमें श्रीमहावीरजी आए; तहां देवतायोने समवसरण रचा. तिसमें बैठके श्रीमहावीर नगवंते देशना दूसरी दोनी.
प्र. एए-दूसरी देशना सुनने वास्ते तहां कोन कोन आये थे और तिस दप्तरी देशनामें क्या बमा नारी बनाव बना था और किस किसमें दीक्षा लोनी, और नगवंतके कितने शिष्य साधु हुए, और बमी शिष्यणी कौन हूश्.
न.-चार प्रकारके देवता और चार प्रकारकी देवी मनुष्य, मनुष्यणी इत्यादि धर्म सुन. नेकों आये थे.
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