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रूप अवस्ग हस्थी.
प्र. ५४-नगवंतकी प्रथम देशनासे किसीको लान्न हुआथा.
न.-नही ॥ शुनने बालेतो थे, परंतु कि. सीको तिस देशनासे गुण नही उत्पन्न हुआ.
प्र. ५५-प्रथम देशना खाली ग तिस बनावकों जैन शास्त्र में क्या नाम कहतेहै.
न.-अछेरा नूत अर्थात् आश्चर्य नूत जैन शास्त्रमें इस बनावका नाम कहाहै.
प्र.५६-अबेरा किसकों कहतेहै.
न.-जो वस्तु अनंते काल, पीले आश्चर्य कारक होवे तिसको अछेरा कहतेहै, क्योंकि कोशनी तीर्थकरकी देशना निःफल नही जातीहै और श्रीमहावीरजीकी देशना निष्फल गइ, इस वास्ते इसको अछेरा कहतेहै.
प्र.५७-श्रीमहावीरजीतो केवलज्ञानसें जानते थे कि मेरी प्रथम देशनासे किसीकोंन्नी कुब गुण नही होवेगा, तो फेर देशना किस वास्ते दोनी.
न.-सर्व तीर्थंकरोंका यह अनादि नियम
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