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शक्ति नही चल सक्तिहै. और जो लोक इश्वरावतार देहधारीकों सर्वशक्तिमान् मानतेहै सो निकेवल अपने माने ईश्वरकी महत्वता जनाने वास्ते. जेकर पक्षपात गेमके विचारीये तो जो चाहेसो कर सके ऐसा कोश्नी ब्रह्मा, शिव, हरि, क्रायस वगेरे मानुष्योमे नही हुआहै. इनोंके कर्तव्योकी इनका पुस्तकें वांचीये तब यथार्थ सर्व शक्ति वि. कल मालुम होजावेंगे. इस कारणसें सर्व जीव अपने करे कर्माधीनहै इस हेतुसे श्रीमहावीरस्वामी अपनी शक्तिसें त्रिशला माताकी कूखमें नही जासकेहै.
प्र.५३-महावीरस्वामीके कितने नाम
न.-वीर १ चरमतीर्थकृत २ महावीर ३ वईमान ४ देवार्य ५ ज्ञातनंदन ६ येह नामहै १ वीर बहुत सूत्रोंमैं नामहै १ चरमतीर्थकृत कल्पादि सूत्रे २ महावीर ३ वर्द्धमान यहतो प्रसिइहै ब. हुत शास्त्रोंमे देवार्य, आवश्यकमें ज्ञातनंदन, ज्ञातपुत्र,आचारंग दशाश्रुतस्कंधे ६ उहाँ एकठे हेमाचार्यकृत् अन्निधानचिंतामणि नाममालामेहै.
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