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पिताका इतना बमा नारी स्नेहहै तो जब में इनकी रूबरु दीका लेऊंगा तो मेरे माता पिता अवश्य मेरे वियोगसे मर जाएगे, तब श्रीमहावीरजीने गर्नमेही यह निश्चय कराकि माता पिताके जीवते हुए मैं दीदा नही लेईंगा.
प्र. २६-इन श्रीमहावीरजीका वईमान नाम किस वास्ते रखा गया.
न. जब श्रीमहावीरजी गर्नमें आये त. बसें सिद्धार्थराजाकी सप्तांग राज्य लक्ष्मी वृद्धिमान् हुश्, तब माता पिताने विचाराके यह हमारे सर्व वस्तुको वृद्धि गर्नके प्रत्नावलें हुश्है. इस वास्ते इस पुत्रका नाम हम वर्द्धमान रखेंगे; नगवंतके जन्म पीने सर्व न्यात वंशीयोको रूबरू पुत्रका नाम वईमान ररका.
प्र. २७-इनका महावीर नाम किसने दीना.
न. परीषह और उपसर्पसे इनको नारी मरणांत कष्ट तक हुए तोनी किंचित मात्र अ. पना धीर्य और प्रतिज्ञासें नहो चलायमान हुए है, इस वास्ते इंद, शक और नक्त देवतायोंने
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