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और जैपुरके पास खमेला गामहै तहां वीरात् ६५३ मे वर्षे जिनसेनाचार्यने २ गाम रजपूतोकें और दो गाम सोनारोके एवं सर्व गाम GU जैनी करे तिनके चौरासी गोत्र स्गपन करे सो सर्व खंमेलवाल बनिये जिनकों जैपुरादिक देशोंमें सरावगी कहतेहै. और संवत् विक्रम १७ मे हंसारसे दश कोशके फासलेपर अग्रोहा नामक नगरका उजम टेकरा बमा नारीहै तिस अग्रोहे नगरमें विक्रम संवत् २१७ के लगनग राजा अग्रके पुत्रांको और नगरवासी कितनेही हजार लोकांकों लोहाचार्यने जैनी करा, नगर न. कम हुआ. पीछे राजभ्रष्ट होनेसें और व्यापार वणिज करनेसे अग्रवाल बनिये कहलाये. इसी तरे इस कालकी जैनधर्म पालने वाली सर्व जातियां श्री महावीरसे ७० वर्ष पीसें लेके विक्रम संवत् १५७५साल तक जैन जातियों आचार्योने बनाइहै तिनसे पहिलां चारोही वर्म जैन धर्म पालते थे इस समयेकी जातियों नहीथी इस प्रश्नोत्तर में जो लेख मैने लिखाहै सो बहुत ग्रंथोमें मैने ऐसा लेख बां
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