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पीकी कूखमें किस वास्ते उत्पन्न हूये.
न.-श्रीमहावीर नगवंतके जीवने मरीचीके नवमें अपने नंच गोत्र कुलका मद अर्थात् अनिमान कराया तिस्से नीच गोत्र बांध्याथा सो नीच गोत्रकर्म बहुत नवोंमें नोगना पडा तिसमेंसें थोमासानीच गोत्र नोगना रह गयाथा तिसके प्रत्नावसे देवानंदाकी कूखमें नुत्पन्न हुए नर नीच गोत्र नोगा.
प्र. १५-तो फेर जेकर हम लोक अपनी जात नर कुलका मद करे तो अबा फल होवेगा के नही, मद करना अच्छाहै के नही.
न.-जेकर कोइनी जीव जातिका १ कु. लका १ बलका ३ रूपका ४ तपका ५ ज्ञानका ६ लानका ७ अपनी ठकुराइका ये आठ प्र. कारका मद करेगा सो जीव घणे नवां तक ये पूर्वोक्त आठहो वस्तु अली नही पावेगा अर्थात् आगेही वस्तु नीच तुब मिलेगा इस वास्ते बुद्धिमान पुरुषकों पूर्वोक्त आठहो वस्तुका मद करना अच्छा नहीहै.
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