Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 105
________________ गोत्र 102 • द्वात्रिंशि.5145२९ तथा 'नयसता' व्यायाम विदा पर्थोनी याही . १४८०, १५२८, १६९६, १९९२, २००२ | ग्रन्थि (जैनदर्शनमान्य) जुओ ग्रन्थि गुरुभक्तिफल १५२१-१५२२ | ग्रन्थिभेद ५, १६७, ३८४, ९३६, ९४८, गुरुलक्षण ८३७, ८५२ ९६६-९६७, ९७१, १०००, १००५-१००६, गुरुलाघवचिन्ता ९८६, ९८८ १०१७-१०१८, ११२८, १२०६-१२०७, गुरुवर्ग ८३६, ८३७-८४०, ८४४, १००६ १२१२, १२१४, १२८६-१२८७, १२९६, गुरुविनय ११३, ९९८, १२१७, १४९९,१६४०,१९८२, १३०८, १३५३, १३७२-१३७३, १३९० १९८४, १९९१, २००२-२००३, २००६ १३९१, १४१०, १४४४-४५, १४४८-१४४९, गुरुशुश्रूषण २७२, २७५-२७६ १४६१-१४६२, १४८९, १५०२-१५०३, गुरुहीलना १९७८, १९७९ १५०५, १५१८-१५१९, १५२३-१५२७, गुर्वाज्ञाराधनपरता जुओ चारित्रलिंग १५२९, १५३२, १५३६, १५३९-१५४१ गृहस्थधर्म ४११, ४७७, ६४०, ८३९ १५४८, १६१९, १६२४, १६३३, १६३६, गृहीतृसमापत्ति जुओ समापत्ति १६५६, १६६२, १६९९, १८४९, १८६८ गोचर भिक्षा जुओ भिक्षा ग्रन्थिभेदप्रक्रिया जुओ सम्यग्दर्शनलाभप्रक्रिया १३०४ ग्रहणसमापत्ति जुओ समापत्ति गोत्रयोगी जुओ योगी ग्रामकण्टक १८५३ गौण ६, ११, २०, २३, ३७, ११८, १४७, १६३- ग्राह्यसमापत्ति जुओ समापत्ति १६४, १७१, ३२१, ५२३, ६०८, ६६०, ग्राह्याकारविराम १७२१ ६८४, ७०१, ७३२, ११५५, ११५८-११५९, गृहस्थधर्म ४११ ११७१, ११७३, ११७५, ११८५, १२०५,| चतुर्थगुणस्थान जुओ गुणस्थानक १३३२, १३५२-१३५३, १३६४, १५९८-| चतुर्दशगुणस्थान जुओ गुणस्थानक १५९९, १६१०, १६३१, १७०२, १७०९, चतुदर्शविद्या ११४१ १७३०, १९५३, १९५७, २०२१, २१७३ | चतुर्दशी १०८ गोपीचन्दन ४२२ चरमदुःखध्वंस १७५८-१७६३, २०६९-२०८५ गौणपूर्वसेवा जुओ पूर्वसेवा (द्रव्यादि) चरणपरिणाम १६२, १७६, १३७४-१३७५ गौरवदान जुओ दान (अनुकम्पादि) चरणसम्पत् ग्रन्थि चरमयथाप्रवृत्तकरण जुओ करण-यथाप्रवृत्तकरण (१) ग्रन्थि (जैनदर्शनमान्य) १००५-१००६, १०१६. चरमयथाप्रवृत्तकरणसामर्थ्य १४४३ १०२०, १५२६ चरमावर्त ६८४, ६८५-६८८, ६९३, ७०४(२) हृदयग्रन्थि १००५, १७२३, १७३७, १७६९, ७०८, ७१२-७१३, ७१७, ८८१-८८३, ८८६, २१२७, २१३५ ९०२-९०३, ९११, ९१३-९१४, ९१६-९१८, (३) अविद्याग्रन्थि १०१७-१०१८ ९२४, ९३०, ९३७, ९९४, १०१४, १२०१(४) तमोग्रन्थि १६२३ १२०४, १२०६, १३०७, १३१९, १३७९, (५) रुद्रग्रन्थि १०१७ १३८४, १३८८, १४१०, १४१९-१४२०, (६) बौद्धसम्मत ग्रन्थि जुओ जटा १४३२, १४३९-१४४१, १४५१, १४५९, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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