Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 133
________________ 130 (१५) जुओ ज्ञानभूमिका योग योग (इच्छादि) (१) इच्छायोग • द्वात्रिंशिडाप्र२श तथा 'नयलता' व्यायामां वएर्शवेला पहार्थोनी याही • (१८) निर्बीजयोग (१९) सालम्बनयोग (२०) निरालम्बनयोग योग (द्रव्यादि) ( १ ) द्रव्ययोग ९६४ -९६५, ९७३ ९७५, १३८७,१४१० (२) भावयोग २०, ७१६-७१७, ७३४, ९६५९६६, ९७३ ९७५, १०१४, १२३८, १२९४, १२९६, १२९८, १४०६, १४१०, १४४६१४४८, १४८८, १४९९, १५३०-१५३१, १५८१, १६६१ (३) नैश्चयिकयोग (४) व्यवहारिकयोग योगदा भूमिका योगदृष्टि ६८३, ७२५, ७६१, १८३६ १७३, १७४, १७८, ७०१, १२६७-१२७२, १३२१ ( २ ) शास्त्रयोग १७३, १७४, ७१६, १२६७, १२७२-१२७३, १२७५, १३१४, १३२१, १८३७ (३) सामर्थ्ययोग १२६७, १२७१, १२७४-१२७५, १२७७-१२७९, १२८१-१२८३, १२८५१२९०, १२९२-१२९४, १३०४, १३१४, १३२१, १८३३-१८३५, १८३९, १९०३ (i) धर्मसंन्यास १२८५, १२८७-१२८९, १२९४, १६९३-१६९६, १७७५, १८३३-१८३५ (ii) योगसंन्यास १२८५, १२९३ (४) तात्त्विकयोग १२९३-१२९९, १२९६-१२९७ (५) अतात्त्विकयोग ५५५, १२६३, १२८८, १२९४१२९५, १२९७, १३६१, १५२६ (६) सानुबन्धयोग ९९२, १२६२, १२९९ १३००-१३०२ (७) निरनुबन्धयोग (८) निरुपक्रमयोग १३०२ ( ९ ) साश्रवयोग १३०१-०२ (१०) अनाश्रवयोग १३०२ (११) सम्प्रज्ञातयोग ७४१, ७६०, ८२७, ८८४, १३२५-१३२६, १३२९, १३३१, १३३५, १३३७, १३४२, १३४५-१३४६ (१२) असम्प्रज्ञातयोग ७४१, ८८४, १३४६-१३४९, १३६८-१३७० (i) भवप्रत्यय असम्प्र० (ii) उपायप्रत्यय असम्प्र० (१३) सोपक्रमयोग (१४) निरुपक्रमयोग (१५) सापाययोग (१६) निरपाय योग (१७) सबीजयोग Jain Education International १३०१ १३०० १३०० १३०० १३४२ ८८४ ८८४ (१) मित्रा दृष्टि (२) तारा दृष्टि (३) बला दृष्टि (४) दीप्रा दृष्टि (५) स्थिरा दृष्टि (६) कान्ता दृष्टि (७) प्रभा दृष्टि (८) परा दृष्टि योगदृष्टिगत गुण योगधर्माधिकारी १३२६, योगपदप्रयोग योगप्रवृत्ति योगबीज १६१७-१६९६ योगलक्षण १३४२ १३४२ १३४२ For Private & Personal Use Only ९७६, १२९६ १२९५ जुओ ज्ञानभूमिका १३७७-१४०५, १४१७-१५४८, १३८३, १३८४, १४१७-१४६९ १३८४ - १३८५, १४७५-१४९३ १३८५, १४९३-१५०४ १३८६-१३९० १३९०-१३९३, १६१७-१६४१ १३९३, १६४१-१६६२ १३९३ १३९५, १६६२-१६८१ १३९५-१३९७, १६८१-१६९६ जुओ गुण ९३५ ७०६, ९७५ जुओ प्रवृत्ति (पातञ्जल ) ८८३, ९१३, १०१४, १२९६, १४३५, १४३७-१४४८, १४५२ १४५६, १४६०-१४६१, १४६३, १४६७, १४६९, १५३८, १५४७ १२४, १२६, २५०, ५२७, ५८६, ६८३, ७०६, ७१२, ७३८, ७४१, ७६१७६२, ८२३-८२६, ८३०-८३२, ८६९, ८७१, www.jainelibrary.org

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