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६२] वृहद्रव्यसंग्रहः
[गाथा २२ लोयायासपदेसे इक्किक्के जे ठिया हु इक्किक्का । रयणाणं रासी इव ते कालाणू असंखदब्बाणि ॥ २२ ॥ लोकाकाशप्रदेशे एकैकस्मिन् ये स्थिताः हि एकैकाः।
रत्नानां राशिः इव ते कालाणवः असंख्यद्रव्याणि ॥ २२ ॥
व्याख्या-"लोयायामपदेसे इक्किक्के जे ठिया हु इक्किका" लोकाकाशप्रदेशेष्वेककेषु ये स्थिता एकैकसंख्योपेता “हु" स्फुटं । क इव ? "रयणाणं रासीइव" परस्परतादात्म्यपरिहारेण रत्नानां राशिरिव । "ते कालाणू" ते कालाणवः। कति संख्योपेताः ? "असंखदब्बाणि" लोकाकाशप्रमितासंख्येयद्रव्याणीति । तथाहि-यथा अंगुलिद्रव्यस्य यस्मिन्नेव क्षणे वक्रपर्यायोत्पत्तिस्तस्मिन्नेव क्षणे पूर्वप्राञ्जलपर्यायविनाशोऽङ्ग लिरूपेण ध्रौव्यमिति द्रव्यसिद्धिः । यथैव च केवलज्ञानादिव्यक्तिरूपेण कार्यसमयसारस्योत्पादो निर्विकल्पसमाधिरूपकारणसमयसारस्य विनाशस्तदुभयाधारपरमात्मद्रव्यत्वेन ध्रौव्यमिति वा द्रव्यसिद्धिः । तथा कालाणोरपि मन्दगतिपरिणतपुद्गलपरमाणुना व्यक्तीकृतस्य कालाणूपादान कारणोत्पन्नस्य य एव वर्तमानसमयस्योत्पादः स एवातीतसमयापेक्षया विनाशस्तदुभया
गाथार्थ :- जो लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर रत्नों के ढेर समान परस्पर भिन्न हो कर एक-एक स्थित हैं वे कालाणु असंख्यात द्रव्य हैं ॥ २२ ॥
वृत्त्यर्थ :-"लोयायासपदेसे इविक्के जे ठिया हु इक्विक्का” एक-एक लोकाकाश के प्रदेश पर जो एक-एक संख्यायुक्त स्पष्ट रूप से स्थित हैं। किस के समान हैं ? "रयणाणं रासी इच" परस्पर में तादात्म संबंध के अभाव के कारण रत्नों की राशि के समान भिन्नभिन्न स्थित हैं। "ते कालाणू" वे कालाणु हैं। कितनी संख्या के धारक हैं ? "असंखव्वाणि" लोकाकाश के प्रदेशों की संख्या के बराबर असंख्यात द्रव्य हैं। विशेष-जैसे जिस क्षण में अंगुली रूप द्रव्य के टेड़ी रूप पर्याय की उत्पत्ति होती है उसी क्षण में उसके सीधे आकार रूप पर्याय का नाश होता और अंगुली रूप से वह अंगुली दोनों दशाओं में ध्रौव्य है। इस तरह उत्पत्ति, नाश तथा ध्रौव्य इन तीनों लक्षणों से युक्त द्रव्य के स्वरूप की सिद्धि है। तथा जैसे केवल ज्ञान आदि की प्रकटता रूप कार्य समयसार का (परम-आत्मा का) उत्पाद होता है उसी समय निर्विकल्प ध्यान रूप जो कारण समयसार है, उसका नाश होता है और उन दोनों का आधारभूत जो परमात्मा द्रव्य है उस रूप से ध्रौव्य है; इस तरह से भी द्रव्य की सिद्धि है । उसी तरह कालाणु के भी, जो मन्दगति में परिणत पुद्गल परमाणु द्वारा प्रगट किये हुए और कालाणुरूपीउपादान कारण से उत्पन्न हुए जो यह वर्तमान समय
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