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गाथा ४१] तृतीयोऽधिकारः
[ १६७ अथ मदाष्टस्वरूपं कथ्यते । विज्ञानेश्वर्यज्ञानतपःकुलबलजातिरूपसंज्ञ मदाष्टकं सरागसम्यग्दृष्टिभिरत्याज्यमिति । वीतरागसम्यग्दृष्टीनां पुनानकषायादुत्पन्नमदमात्सर्यादिममस्तविकल्पजालपरिहारेण ममकाराहङ्काररहिते स्वशुद्धात्मनि भावनैव मदाष्टकत्याग इति । ममकारीहङ्कारलक्षणं कथयति । कर्मजनितदेहपुत्रकलत्रादौ ममेदमिति ममकारस्तत्रैवाभेदेन गौरस्थूलादिदेहोऽहं राजाहमित्यहङ्कारलक्षणमिति ।
अथानायतनषट्कं कथयति । मिथ्यादेवो, मिथ्यादेवाराधका, मिथ्यातपो, मिथ्यातपस्वी, मिथ्यागमो, मिथ्यागमधराः पुरुषाश्चेत्युक्तलक्षणमनायतनषटकं सरागसम्यग्दृष्टोनां त्याज्यं भवतीति । वीतरागसम्यग्दृष्टीनां पुनः समस्तदोषायतनभूतानां मिथ्यात्वविषयकषा यरूपायतनानां परिहारेण केवलज्ञानाद्यनन्तगुणायतनभूते स्वशुद्धात्मनि निवास एवानायतनसेवापरिहार इति । अनायतनशब्दस्यार्थः कथ्यते । सम्यक्त्वादिगुणानामायतनं गृहमावास आश्रय आधारकरणं निमित्तमायतनं भएयते तद्विपक्षभूतमनायतनमिति ।
अब आठ मदों का स्वरूप कहते हैं-विज्ञान ( कला) १, ऐश्वर्य (धन सम्पत्ति ) २, ज्ञान ३, तप ४, कुल ५, बल ६, जाति ७ और रूप ८; इन आठों संबंधी मदों का त्याग सरागसम्यग्दृष्टियों को करना चाहिए । मान कषाय से उत्पन्न होने वाले मद मात्सर्य ( ईर्ष्या ) आदि समस्त विकल्प-समूह, उनके त्याग द्वारा, ममकार-अहंकार से रहित निज शुद्ध-आत्मा में भावना, वीतराग सस्यग्दृष्टियों के आठ मदों का त्याग है। ममकार तथा अहंकार का लक्षण कहते हैं-कर्मजनित देह, पुत्र-स्त्री आदि में 'यह मेरा शरीर है, यह मेरा पुत्र है' इस प्रकार की जो बुद्धि है वह ममकार है और उन शरीर आदि में अपनी आत्मा से भेद न मानकर जो 'मैं गोरा हूँ, मोटा हूँ, राजा हूँ' इस प्रकार मानना सो अहंकार का लक्षण है।
अब छः अनायतनों का कथन करते हैं-मिथ्यादेव १, मिथ्यादेवों के सेवक २, मिथ्यातप ३, मिथ्यातपस्वी ४, मिथ्याशास्त्र ५ और मिथ्याशास्त्रों के धारक ६; इस प्रकार के छः अनायतन सरागसम्यग्दृष्टियों को त्याग करने चाहिये । वीतराग सम्यग्दृष्टि जीवों के तो, सम्पूर्ण दोषों के स्थानभूत मिथ्यात्व-विषय-कषायरूप आयतनों के त्यागपूर्वक, केवल ज्ञान आदि अनन्त गुणों के स्थानभूत निज शुद्ध-आत्मा में निवास ही, अनायतनों की सेवा का त्याग है । अनायतन शब्द के अर्थ को कहते हैं-सम्यक्त्व आदि गुणों का आयतन घर
आवास-आश्रय (आधार) करने का निमित्त, उसको 'आयतन' कहते हैं और उससे विपरीत 'अनायतन' है।
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