Book Title: Bruhad Dravya Sangraha
Author(s): Bramhadev
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 273
________________ ३२ १३४ १२६ ર २५२ ] वृहद्रव्यसंग्रहः [पारिभाषिक शब्द शब्द पृष्ठ । शब्द कारण समयसार ४०, ६२ | गजदंत १२३, १२५, १२६, १३२ कार्य समयसार ६२ गतिमार्गणा काल ४८,४६,५८,६१,६५,६७,६८,६६ गन्धमालिनी (देश) ७०,७२,७४,७५,७६,७७,१३४,:३५ | गन्धर्वाराधना ग्रन्थ काल अन्तरित २०६ गन्धा (देश) काल लब्धि ६१, १५०, १६४ गन्धिलां (देश) कालोदक (समुद्र) १२० | गुण कालोदधि १३१, १३२, गुणस्थान किश्चिदून गुप्ति ६८, ६६, १४८, १६०, १६२ कुण्डला नगरी | गौतम गणधर १६४, २२६ कुन्दकुन्द स्वामी गृहाङ्गकल्पवृक्ष १२६ ग्रह (तारे) कुमति प्रवेयिक (नव) १३८, १३६, १४०, १४२ कुमुदा (देश) १५ कुलाचल घन (शब्द) केवलदर्शन १३,१४,४२,४६,१८४,१८५,२११ घनवात ११३, ११५, १३६ घनोदधि केवलज्ञान १७,४१,४७,४६,६५,६६,६७,१४२ ११३, ११५, १३६ १७६,१८४,१८५,२००,२११,२२५,२२७ केवलज्ञानावरण चक्रपूरी (नगरी) १३० केवलि समुद्घात चक्रवर्ति (राजा) १०७, ११८ केवली १८४, १८५ / चतुरिन्द्रिय केसरी (हृद) चन्डिका देवी १६५ कौरव चन्द्रप्रभ विद्याधर कंस (राजा) १६५, १६८, १६६ चरणानुयोग १८०,१६२ कृतान्तवक्र (राजा) चरमशरीर १०६ कृष्ण (नारायण) १६५ चक्षुदर्शन क्रियासहित ७४,७५ चारित्र १४६, १६०, १६१, १६२, १६३, क्रोध ८७, १११ १६४, २१३ चारित्रमोह २०१ खड्गपूरी (नगरी) चारित्रसार खड्गा (नगरी) चित्रापृथ्वी ११५ खरभाग ११५, ११६ चूलिका ७४, ७८, १७६ | चेतना (३) गङ्गा १२१,१२२,१२३,१२४,१३०,१३१ । चेलनारानी १७२ २६ १७१ १६६ १३ १३० २२७ १२७ ४६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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